[3:33 PM, 4/7/2020] Avinash Sir: ‘एंटीवायरल रिसर्च’ नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार वैज्ञानिकों ने एक आम एंटी-पैरासाइटिक या परजीवी रोधी दवा को खोजने का दावा किया है, जो घातक कोरोना वायरस के इलाज में मददगार साबित हो सकती है। लैब टेस्ट के बाद ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि दुनिया भर में पहले से उपलब्ध परजीवी रोधी दवाई 48 घंटे के भीतर कोशिकाओं में पैदा किए गए कोरोना वायरस को मार सकती है। इस प्रगति से कोरोना वायरस के लिए नई नैदानिक चिकित्सा का रास्ता साफ हो सकता है। अध्ययन के अनुसार दवा ‘इवरमेक्टिन’ ने प्रयोगशाला में वायरस सार्स-सीओवी -2 को 48 घंटे के भीतर कोशिकाओं में बढ़ने से रोक दिया। अध्ययन के सह-लेखक और ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय से जुड़े काइली वागस्टाफ ने कहा, “हमने पाया कि एक खुराक भी 48 घंटों तक सभी वायरल आरएनए को हटा सकती है। यहां तक कि 24 घंटे में भी इसमें काफी कमी आती है।”
वैज्ञानिकों ने कहा कि ‘इवरमेक्टिन’ एक मान्यताप्राप्त दवा है जिसे एचआईवी, डेंगू, इन्फ्लुएंजा और जीका वायरस सहित विभिन्न वायरसों के खिलाफ प्रभावी माना गया है। वागस्टाफ ने हालांकि आगाह किया कि अध्ययन में किए गए परीक्षण प्रयोगशाला के हैं। अभी इन परीक्षणों को इंसानों पर किए जाने की आवश्यकता है। वागस्टाफ ने कहा, “इवरमेक्टिन व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाती है और इसे एक सुरक्षित दवा माना जाता है। हमें अब यह पता लगाने की जरूरत है कि मनुष्यों में इस्तेमाल की जाने वाली इसकी मात्रा प्रभावी होगी या नहीं, यह अगला कदम होगा।’’ उन्होंने कहा कि आज हम वैश्विक महामारी का सामना कर रहे हैं और इसका कोई मान्यताप्राप्त उपचार नहीं है। ऐसे समय में हमारे पास पहले से मौजूद यौगिक जल्द ही लोगों की मदद कर सकता है। वैज्ञानिकों ने हालांकि कहा कि इस रोग का मुकाबला करने के लिए ‘इवरमेक्टिन’ का उपयोग भविष्य के नैदानिक परीक्षणों के परिणामों पर निर्भर करेगा।
गौरतलब है कि दुनिया भर में तबाही मचाने वाले नए कोरोना वायरस के लिए तमाम वैज्ञानिक शोध करने में जुटे हैं और उपचार के लिए तलाश जारी है। इस कड़ी में ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं को इस सफलता ने नई उम्मीद जगाई है। बेशक अभी इस शोध को WHO द्वारा प्रमाणित किया जाना बाकी है।