हरियाणा में भाजपा सरकार द्वारा वर्ष 2015 में लागू गौवंश संरक्षण एवं गौ संवर्धन कानून प्रदेश वासियों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर के आवेदन पर डीजीपी कार्यालय द्वारा दी गई सूचना के मुताबिक पिछले 2 वर्षों (वर्ष 2018 और 2019) में गौवंश के हमलों व दुर्घटनाओं में 241 व्यक्ति जान से हाथ धो बैठे हैं। गौशालाओं में भी बड़ी संख्या में गौवंश भी मर रहे हैं। यानी, प्रदेश को आवारा पशु मुक्त करने का अभियान पूरी तरह विफल है, लेकिन सरकार बेखबर है।
पीपी कपूर ने एक अक्टूबर 2018 को हरियाणा गौसेवा आयोग में आरटीआई लगाकर आवारा पशुओं के कारण दुर्घटना में मारे गए लोगों की संख्या की सूचना मांगी थी। गौ सेवा आयोग ने यह सूचनो देने के लिए आवेदन पत्र डीजीपी कार्यालय को ट्रांसफर कर दिया। लेकिन डीजीपी कार्यालय के जनसूचना अधिकारी ने यह कर कर पल्ला झाड़ लिया कि यह सूचना सभी 22 जिलों के एसपी से खुद जाकर लें। इसके विरूद्ध पीपी कपूर की अपील पर राज्य सूचना आयुक्त जय सिंह बिश्नोई ने 3 फरवरी 2020 को डीजीपी कार्यालय के जनसूचना अधिकारी को आरटीआई एक्ट के सैक्शन 5 (4) के तहत सूचनाएं एकत्रित करके कपूर को देने के आदेश किए। गत 2 मार्च को अपने पत्र द्वारा डीजीपी कार्यालय के अधीक्षक एवं जनसूचना अधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि 1 फरवरी 2018 से 2 मार्च 2020 तक आवारा पशुओं से हुई दुर्घटना के कारण 241 व्यक्ति प्रदेश में मारे गए हैं।
आवारा पशुओं, गाय-सांड से मारे गए लोगों की जिले अनुसार संख्या :-
फतेहाबाद 40, अम्बाला 36, कैथल 23, सिरसा 23, हिसार 19, पंचकूला 16, सोनीपत 14, भिवानी 13, झज्जर 10, करनाल 9, रेवाड़ी 7, यमुनानगर 7, कुरूक्षेत्र 4, चरखीदारी 3, फरीदाबाद 2, पलवल 2, पानीपत 1,
नोट : गुरूग्राम, जींद, नूंह, नारनौल जिलों में यह संख्या शून्य है।
कपूर ने कहा कि मात्र 2 वर्ष में 241 लोगों के मरने का आंकड़ा तो वह है जो पुुलिस रिकार्ड में दर्ज है। असलियत में यह संख्या हजारों मेें है। आवारा पशुओं से दुर्घटना के कारण हाथ, पैर तुड़वाकर या आंख फुड़वाकर दिव्यांग हुए लोगों की तो गिनती ही नहीं है। इन 241 मौतों का कौन जवाबदेह है? गौशालाओं मेंं मरते हजारों गौवंशों की मौत का कौन जिम्मेदार है? आवारा पशुओं से किसानों की फसल बर्बादी का कौन जिम्मेदार है? उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने वोट की राजनीति के कारण प्रदेशवासियों को मरने के लिए आवारा पशुओं के सामने धकेल दिया है। उसे न गौवंश की चिंता है, न प्रदेशवासियों की। उन्होंने मांग की, कि सरकार को मृतकों के आश्रितों, घायलों व किसानों को मुआवजा देना चाहिए और सड़कों को आवारा पशु मुक्त करना चाहिए।
कपूर ने बताया कि गौ सेवा आयोग का वार्षिक बजट 45 लाख से बढक़र 30 करोड़ हो चुका है। प्रदेश में 18 पुलिस इंस्पेक्टरों सहित कुल 332 पुलिसकर्मी गऊ रक्षा दस्ते में सरकार ने लगा रखे हैं। इसके बावजूद गौशालाओं में बड़ी संख्या में गौवंश की मौत हो रही है। वर्ष 2017-18 में अकेले जिला सिरसा की गौशालाओं में कुल 10,772 गौवंश की मौत हो चुकी है। प्रदेश की कुल गौशालाओं में करीब 4 लाख गौवंश हैं। करीब 1.5 लाख आवारा गौवंश सडक़ों पर हैं। प्रदेश सरकार ने जिलास्तर पर एडीसी की अध्यक्षता में प्रदेश को आवारा पशु मुक्त कराने के लिए कमेटियां गठित कर रखी हैं। पहले 15 अगस्त 2018 व फिर 26 जनवरी 2019 तक दो बार प्रदेश को आवारा पशु मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया। लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव व अधिकारियों की लापरवाही के कारण दोनों बार अभिायन बुरी तरह विफल रहा, जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता भुगत रही है।