जमीन अलॉटमेंट में धोखाधड़ी के आरोप में गुरुग्राम पुलिस के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मेदांता अस्पताल के सह-संस्थापक तथा जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश त्रेहन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस फाइल कर लिया है। अधिकारियों ने 10 जून को बताया कि जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया है। मामले में 15 अन्य लोगों/फर्मों को भी आरोपी बनाया गया है, जिनका नाम पुलिस की एफआईआर में शामिल था। आरोपियों में एसएएस इन्फोटेक, जीएल एशिया मॉरीशस, डनअर्न इनवेस्टमेंट (मॉरीशस), नरेश त्रेहान एंड असोसिएट्स हेल्थ सर्विसेज, ग्लोबल इंफ्राकॉन, पुंज लॉयड, गुड़गांव में हरियाणा शहरी विकास निगम (हुडा) के मुख्य प्रशासक, एस्टेट ऑफिसर्स-दो हुडा और सामान्य स्वास्थ्य सेवा, हरियाणा के निदेशक के नाम प्रमुख हैं।
आपको बता दें कि पिछले हफ्ते सेक्टर-38 में मेडिसिटी के लिए 53 एकड़ जमीन के आवंटन में कथित गड़बड़ी के मामले में गुरुग्राम के अतिरिक्त सत्र न्यायालय के निर्देश पर 6 जून को पुलिस द्वारा गुरुग्राम के डॉ. त्रेहन सहित कई लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें आरोपियों पर पीएमएलए तथा भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धाराएं लगाई गई थीं। साथ ही, भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 463, 467, 468 और 471 (सभी धाराएं दस्तावेजों और रिकॉर्ड से जालसाजी से संबंधित हैं) भी लगाई गईं। प्राथमिकी के अनुसार गुड़गांव निवासी रमन शर्मा ने आरोप लगाया है कि सरकारी सेवकों की साठगांठ से नियमों और नीतियों का उल्लंघन करके ‘मेडिसिटी प्रोजेक्ट’ के लिए यह जमीन त्रेहान, सुनील सचदेवा, अतुल पुंज और अनंत जैन को अलॉट की गई।
शिकायतकर्ता के अनुसार हरियाणा सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून 1984 के प्रावधानों के तहत सार्वजनिक उद्देश्य से 2004 में वर्तमान सेक्टर-38 के इलाके से वहां के स्थानीय लोगों को बेदखल कर दिया। इसके बाद राज्य सरकार ने हुडा के जरिए ‘मेडिसिटी प्रोजेक्ट’ के लिए विज्ञापन निकाला। इसमें कहा गया था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शैक्षिक चिकित्सा संस्थान और चिकित्सा तथा अनुसंधान से जुड़े अन्य संस्थान बनाए जाएंगे। इसके साथ ही एक शॉपिंग मॉल और यात्री निवास भी बनाया जाएगा।
रमन शर्मा ने कहा है, ‘आरोपी नंबर पांच (सरकारी अधिकारी) ने पद का फायदा उठाकर आपराधिक कदाचार किया और आरोपी नंबर एक, दो तीन और चार (त्रेहान, सचदेवा, पुंज और जैन) को लाभ पहुंचाया।’
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि त्रेहान, सचदेवा, पुंज और जैन को लाभ पहुंचाने के लिए आरोपी सरकारी अधिकारियों ने विभिन्न चरणों में योग्यता, नियम-शर्तों का उल्लंघन किया जिससे राज्य को गंभीर नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारियों ने वित्तीय क्षमता पर विचार किए बिना मेडिसिटी के सारे भूखंड को त्रेहान के हवाले कर दिया।
दूसरी ओर, मेदांता अस्पताल के प्रवक्ता ने कहा है कि इस शिकायत में लगाए गए सारे आरोप झूठे, निराधार और दुर्भावना से प्रेरित हैं।
हुड्डा का नाम नहीं
कथित मेडिसिटी घोटाला भूपेंद्र हुड्डा की सरकार के दौरान हुआ था। मनोहर सरकार पूर्व मुख्यमंत्री पर लगातार घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाती रही है। परन्तु महत्वपूर्ण बात यह है ईडी द्वारा दायर इस मामले में हुड्डा का नाम शामिल नहीं है। इससे निस्संदेह हुड्डा समर्थकों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। उनका कहना है कि भाजपा सरकार पूर्व मुख्यमंत्री को झूठे मामलों में फंसाकर बेवजह परेशान करती रही है, जबकि सच्चाई यह है कि हुड्डा किसी घोटाले में शामिल नहीं रहे।