शोधकर्ताओं को पहला ऐसा प्रमाण मिला है कि एक दवा कोरोना वायरस के मरीजों को बचाने में कारगर हो सकती है। डेक्सामेथासोन नामक स्टेरॉयड कोरोना के गंभीर मरीजों की जान बचाने में काफी कारगर साबित हुआ है। यह बात इंग्लैंड में हुए एक शोध में सामने आई है। शोध के अनुसार, इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना संक्रमण से पीड़ित गंभीर रोगियों की मृत्यु दर एक तिहाई तक कम हो गई। शोध के नतीजों की घोषणा मंगलवार,16 जून को की गई थी।
शोधकर्ताओं ने बताया कि सख्ती से जांच करने और औचक तौर पर कोरोना के 2104 गंभीर रोगियों को यह दवा दी गई और उनकी तुलना उसी दशा के उन 4321 मरीजों से की गई, जिनकी साधारण तरीके से देखभाल हो रही थी। आपको बता दें कि भारत में यह दवा यह दवा तोसिलिजुमैब 400mg से सस्ती है। भारत में इसकी कीमती 10 रुपए में दस एमएल है। इसकी मैन्युफैक्चरिंग कई भारतीय कंपनियां करती हैं।
इंग्लैंड में हुए इस शोध और इसके उत्साहजनक परिणाम पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी खुशी जताई है। एक बयान में डब्ल्यूएचओ ने कहा, ‘हम डेक्सामेथासोन पर हुए शोध का स्वागत करते हैं, जो कोरोना महामारी में मृत्यु दर को कम कर सकता है। हमें जीवन को बचाने और नए संक्रमण को रोकने पर ध्यान देना होगा।’ डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, ब्रिटेन में कॉर्टिकोस्टेरॉयड डेक्सामेथासोन के शुरुआती क्लिनिकल ट्रायल से साबित हुआ है कि यह दवा गंभीर कोविड-19 रोगियों को दोबारा जीवन दे सकती है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा, ‘यह दवा कोविड-19 के उन रोगियों के लिए ज्यादा लाभकारी है जो वेंटिलेटर या ऑक्सीजन पर हैं। यह कोरोना के गंभीर रोगियों के मामले में मृत्यु दर कम करने में काफी सफल रही है। इसके इस्तेमाल से इलाज के दौरान होने वाली मौतों में एक तिहाई तक कमी दर्ज की गई है। हालांकि, जिन लोगों में कोरोना के हल्के लक्षण हैं, उन पर इस दवा का लाभ नहीं पाया गया है। उन्होंने कहा कि मैं ब्रिटेन सरकार, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन के कई अस्पतालों और रोगियों को शुभकामना देता हूं जिन्होंने इस वैज्ञानिक सफलता में अपना योगदान दिया।’
शोधकर्ताओं ने कहा कि शीघ्र ही इस अध्ययन को प्रकाशित किया जाएगा।