पहले कम वोटिंग और फिर मतदान के पश्चात आए विरोधाभासी एग्जिट पोल ने हरियाणा में सियासी पारा बढ़ा दिया है। कम वोटिंग से जहां भाजपा सरकार के प्रति लोगों में उत्साह की कमी नजर आती है, वहीं यह भी संकेत मिलते हैं कि जनता को विपक्षी दलों से भी बहुत अधिक उम्मीद नहीं है। यानी यह तो तय है कि लोग इस सरकार से तो छुटकारा पाना चाहते हैं लेकिन सत्ता की चाबी किसको सौंपनी है, इसको लेकर असमंजस की स्थिति में हैं। इसीलिए उन्होंने अनमनेपन से वोट दिया है।
ऐसे में मतदान का समय खत्म होते ही न्यूज़ चैनलों के एक्जिट पोल ने लोगों को चौंका दिया है। सरकार के प्रति इतनी उदासीनता होने के बावजूद भाजपा को 75-80 सीटें मिलने के अनुमान की खबरों ने एक बार फिर ईवीएम में गड़बड़ी की आशंकाओं को जन्म दे दिया है। चुनाव पूर्व अनुमानों के बाद भी ऐसी चर्चा शुरू हुई थी कि भाजपा प्रायोजित सर्वेक्षणों के माध्यम से मतदान को प्रभावित करने का प्रयास कर रही है। विपक्ष का आरोप था कि भाजपा लोगों को संदेश दे रही है कि उसी की सरकार बनने जा रही है इसलिए अपना वोट खराब न करें और बीजेपी को ही वोट दें। लेकिन सुस्त मतदान से स्पष्ट हो गया कि चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों का लोगों पर अपेक्षित प्रभाव नहीं पड़ा। इसके बावजूद मतदान के तुरंत बाद आए लगभग सभी एग्जिट पोल ने भाजपा को बंपर बहुमत मिलने की संभावना प्रस्तुत कर दी।
अनुमानों की बात करें तो भाजपा को एबीपी/ सी वोटर ने 72, इंडिया न्यूज़/ पोल स्ट्रेट ने 75-80, रिपब्लिक न्यूज़/ जन की बात ने 52-63, टीवी-9/ सिसेरा ने 69 और न्यूज-18/ इप्सास ने 75 सीटें दी हैं। किसी भी सर्वे ने कांग्रेस को 19 से अधिक सीट नहीं दी। एबीपी न्यूज़/ सी वोटर के सर्वे में तो कांग्रेस को दहाई के आंकड़े लायक भी नहीं माना गया, जबकि पार्टियों के अपने अनुमान इसके विपरीत हैं। इससे लोगों के मन में आशंका पैदा हो गई है कि कहीं भाजपा इन अनुमानों की आड में ईवीएम सेट करने की योजना तो नहीं बना रही! पहले 75 पार का नारा, फिर ओपिनियन पोल और अब एग्जिट पोल से लोगों के दिमाग में यह बैठ सकती है कि सच में यही पार्टी जीत रही है। इस बात से विपक्षी नेताओं और प्रत्याशियों में खलबली पैदा हो गई है कि कहीं भाजपा इस का फायदा उठाकर चुनाव परिणामों में धांधली न कर ले! यह बात अलग है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके एग्जिट पोल के अनुमानों को नकारा है और पूर्ण बहुमत (46+ सीटों) से कांग्रेस की सरकार बनने की उम्मीद जताई है। इसी बीच आजतक ने अनुमान जाहिर कर दिया है कि भाजपा को 33 प्रतिशत वोटों के साथ 32 से 44 सीट और कांग्रेस को 32 प्रतिशत वोटों के साथ 30 से 42 सीट मिल सकती हैं। आजतक ने जजपा को 6 से 10 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है। ‘सारी दुनिया’ ने भी चुनाव से पूर्व कांग्रेस और भाजपा दोनों को 30-35 के आसपास और जजपा को 7-8 सीट मिलने का अनुमान लगाया था। आजतक का एग्जिट पोल ‘सारी दुनिया’ के ओपिनियन पोल की पुष्टि करता नजर आता है।
लेकिन यहां फिर यह सवाल उठता है कि सर्वे कंपनियों या न्यूज़ चैनलों के अनुमान का आधार क्या है! वे कहां से सैंपल लेते हैं! यह सर्वे वास्तविक भी होता है या किसी दल के पक्ष में ‘प्रायोजित सर्वे’ प्रस्तुत कर दिया जाता है! अब, इंडिया न्यूज़ भाजपा को 75-80 सीटें किस आधार पर दे रहा है और आज तक 32-44 किस आधार पर! निःसंदेह दोनों में इतना बड़ा (लगभग 40 सीटों का) अंतर दिखाता है कि किसी एक सर्वे में तो गड़बड़ है। इससे भी बड़ा प्रश्न यह है कि यह गड़बड़ कहीं जानबूझकर तो नहीं की गई! कहीं इसके पीछे परिणामों को प्रभावित करने की कोई बड़ी साजिश तो नहीं छुपी! आखिर ईवीएम से छेड़छाड़ की आशंका भी तो यहीं से जन्म ले रही है।