
मैं एक आर्टिस्ट हूं और मैं यह जनता हूं कि पिछली सेंचुरी का सबसे बड़ा आर्ट फॉर्म था ‘आर्ट फॉर द सेक ऑफ आर्ट’ जबकि आज का सबसे बड़ा आर्ट फॉर्म है ‘ब्लॉकबस्टर’ यानी ‘बेस्ट सेलर’। यह संवाद है संडे थियेटर में इस बार के नाटक ‘सन 2025’ का जो वर्तमान समय में कला और साहित्य के क्षेत्र में आई गिरावट को दिखाने के लिए काफी है। सप्तक रंगमंडल, पठानिया वर्ल्ड कैंपस और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा स्थानीय आईएमए हाल में मंचित इस नाटक में दिखाया गया कि आज के युग में सफलता के ऊंचे मुकाम को छूने के लिए हमें किस तरह हत्या और रेप जैसे अमानवीय तरीके अपनाने को भी विवश होना पड़ता है।

सप्तक के सचिव अविनाश सैनी ने बताया कि जाने माने नाटककार पीयूष मिश्रा द्वारा लिखित इस नाटक की कहानी एक सफल एवं प्रसिद्ध लेखक धीरज ब्रह्मात्मे के इर्दगिर्द घूमती है। धीरज ने जितनी पुस्तकें लिखी हैं उन सब का संबंध किसी न किसी संगीन अपराध से है। गडगड सूफी नामक एक प्राइवेट डिटेक्टर पता लगाता है कि ब्रह्मात्मे उन सभी अपराधों को अंजाम देता है और फिर उन पर किताब लिखता है। इस बात का पता चलने पर ब्रह्मात्मे अन्ततः उसकी भी हत्या कर देता है और इस घटना पर भी एक किताब लिख देता है। ब्रह्मात्मे के रूप में हैरी कश्यप और गडगड सूफी के रूप में शिखर मिश्रा ने जीवंत अभिनय किया।एक घंटे तक चले नाटक में दोनों ने दर्शकों को बखूबी बांधे रखा। नाटक के संवाद न सिर्फ बेहद रोचक थे, बल्कि सोचने पर भी विवश कर रहे थे। सन 2025 का निर्देशन सुनील चौहान ने किया। ड्रामाटर्जी आर्ट एंड कल्चर सोसाइटी, दिल्ली की इस प्रस्तुति में रणधीर रोशन व जमील ने लाइट, नमन वर्मा ने म्यूजिक और प्रशांत सूर्यवंशी तथा अक्षय शर्मा ने प्रोडक्शन की जिम्मेदारी निभाई।

इस अवसर पर सीनियर फिजिशियन तथा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं पैटर्न डॉ. सतीश गुलाटी मुख्यातिथि तथा समाजसेवी संदीप गर्ग विशिष्ट अतिथि रहे। नाट्य संध्या में सप्तक के संस्थापकों में से एक डॉ. दिनेश खोसला, डॉ. अंजू खोसला, डॉ. आरके चौधरी, रोटेरियन अमित नागपाल, प्रिंसिपल परमभूषण आर्य, अंशुल पठानिया, तन्वी पठानिया, राघवेन्द्र मालिक, वीरेंद्र फोगाट, धर्मेंद्र कंवारी, सुभाष नगाड़ा, श्रीभगवान शर्मा, अनिल सैनी, सिमरन कौर, महक कथूरिया, ब्रह्मप्रकाश मुख्य रूप से उपस्थित थे। डॉ. सतीश गुलाटी, संदीप गर्ग , दिनेश खोसला, आरके चौधरी और अंशुल पठानिया ने कलाकारों को स्मृतिचिन्ह भेंट किए। अविनाश सैनी ने मंच संचालन किया, जबकि संस्था के अध्यक्ष विश्वदीपक त्रिखा ने सभी का धन्यवाद किया। बता दें कि संडे थियेटर का आयोजन हर रविवार को शाम 6.30 बजे स्थानीय आईएमए हाल में किया जाता है। प्रवेश सभी के लिए निःशुल्क रहता है।

