विश्व रंगमंच दिवस और होली के उपलक्ष्य में 28 मार्च को संडे थियेटर में भारत-पाक बंटवारे के दर्द को समेटे तीन कहानियों का मंचन किया जाएगा। इनमें दक्षिण एशिया के मशहूर लेखक सआदत हसन मंटो की कहानी ‘टोबा टेकसिंह’ और भारतीय फिल्मों के जाने माने गीतकार गुलजार की कहानी ‘सीमा’ तथा ‘रावी पार’ शामिल हैं। सप्तक रंगमंडल, पठानिया वर्ल्ड कैंपस और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सयुंक्त तत्वावधान में स्थानीय आईएमए हाल में होने वाले इन नाटकों का निर्देशन नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की ग्रेजुएट ‘सुनीता तिवारी नागपाल’ ने किया है। टोबा टेक सिंह में हेमंत गौतम, सीमा में साउद नियाज़ी तथा रावी पार में रामगोपाल ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं।
सप्तक के सचिव अविनाश सैनी ने बताया कि तीनों ही नाटकों में आज़ादी के समय हुए बंटवारे की पीड़ा के विभिन्न रूपों को दर्शाया गया है। टोबा टेकसिंह ऐसे लोगों की कहानी है, जो इंसानों के बीच खींची गई बनावटी सरहदों को मनाने से इंकार कर देते हैं। जाहिर है ऐसे लोगों को जमाने वाले पागल कहते हैं। ‘सीमा’ और ‘रावी पार’ भी उस समय दिमागों पर हावी हुए वहशीपन को दिखाने के साथ-साथ इंसानी जज्बे व भाईचारे के भाव को भी सामने लाते हैं।
उन्होंने बताया कि इस अवसर पर एडवोकेट एवं उपभोक्ता फोरम रोहतक की पूर्व न्यायिक सदस्य रेणु चौधरी मुख्यातिथि और वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. एनके मग्गू विशिष्ट अतिथि होंगे। उन्होंने बताया कि यह संडे थियेटर की 11वीं प्रस्तुति है। संडे थियेटर का आयोजन हर रविवार को शाम 6.30 बजे स्थानीय आईएमए हाल में किया जाता है। प्रवेश सभी के लिए निःशुल्क रहेगा।