
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज 12 से 4 बजे के बीच देशभर में रेल का चक्का जाम किया गया। बिहार से लेकर हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर तक आंदोलन का व्यापक असर दिखाई दिया। विभिन्न राज्यों में जहां किसानों ने रेलवे ट्रैक पर कब्जा करके ट्रेनों की आवाजाही को बाधित किया, वहीं प्रशासन ने दिल्ली के कई मेट्रो स्टेशनों को बंद दिया।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा। किसानों ने रेल रोक कर यात्रियों के साथ अपना दुःख साझा किया और उन्हें कृषि कानूनों के नुकसान गिनाए। किसानों ने जगह-जगह रेल यात्रियों के बीच पानी, दूध, लस्सी और फल वगैरह बांटे। इसके साथ ही उन्होंने यात्रियों को हुई असुविधा के लिए उनसे माफी भी मांगी। कई स्थानों पर गांधीगिरी दिखाते हुए किसानों ने सुरक्षाबलों पर फूल बरसाए और जय जवान, जय किसान के नारे लगाए। रेल रोको आंदोलन का सबसे अधिक असर दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-जम्मू, दिल्ली-भोपाल और दिल्ली-हावड़ा रूट पर पड़ा है।
हरियाणा में पटरियों पर किसानों का कब्ज़ा
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के रेल रोको आंदोलन का हरियाणा में व्यापक असर दिखाई दिया। प्रदेश में करीब 80 स्थानों पर रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन करने की योजना थी, जो सफल रही। किसान सोनीपत, अंबाला, झज्जर, जींद सहित विभिन्न जिलों में पटरियों पर बैठ गए और रेल यातायात बाधित कर दिया। प्रदर्शनकारियों में महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल रहीं। सोनीपत में किसान पटरियों पर बैठे हुक्का गुड़गुड़ाते नजर आए। इस दौरान कुरक्षेत्र में ‘गीता जयंती एक्सप्रेस’ ट्रेन को भी रोका गया। सुरक्षा बलों की मौजूदगी के बावजूद पलवल में रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया गया। अंबाला में किसानों ने पटरियों पर ही बिस्तर लगा लिया। इस मौके पर बुजुर्गों से लेकर बच्चे तक पटरियों बैठे नजर आए। किसानों ने गुड़गांव, सोनीपत, जींद के नरवाना व बरसोला तथा फतेहाबाद के टोहाना, रोहतक के इस्माईला में भी रेल ट्रैक रोके रखे। सोनीपत और इस्माईला में जनवादी महिला समिति ने धरने की अगवाई की। दिल्ली-जयपुर हाइवे स्थित रेवाड़ी सीमा के साथ लगते जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर बैठे किसानों ने राजस्थान व हरियाणा की सीमा पर स्थित अजरका स्टेशन पर रेल यातायात बाधित कर दिया। किसानों ने दिल्ली-जयपुर रेलमार्ग पर कब्जा कर लिया। इससे कई ट्रेनें प्रभावित हुईं।
हरियाणा में लंबी दूरी की 19 से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हुईं। इनमें दिल्ली-अंबाला लाइन पर 8 और रोहतक व बहादुरगढ़ से होकर गुजरने वाली 4 ट्रेनें प्रभावित हुईं। हिसार, रेवाड़ी और सिरसा से गुजरने वाली ट्रेनों को भी विभिन्न स्थानों पर रोकना पड़ा। टोल प्लाजा पर धरना दे रहे किसानों ने बताया कि उन्होंने नजदीकी स्टेशनों के पास ट्रैक पर प्रदर्शन किया। विरोध पूरी तरह शांतिपूर्वक रहा। असमाजिक तत्वों पर नजर रखने के लिए वॉलंटियर्स की ड्यूटी भी लगाई गई।

दिल्ली-एनसीआर के कई मेट्रो स्टेशन रहे बंद
दिल्ली मेट्रो प्रशासन ने ऐहतियात के तौर पर टिकरी बॉर्डर, पंडित श्री राम शर्मा, बहादुरगढ़ सिटी और ब्रिगेडियर होशियार सिंह मेट्रो स्टेशनों के एग्जिट और एंट्री गेट बंद कर दिए। दिल्ली मेट्रो से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 12 बजे किसानों का रेल रोको आंदोलन शुरू होने से पहले ही मेट्रो स्टेशन बन्द कर दिए गए।
पंजाब
सयुंक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर पंजाब के 15 जिलों में 21 स्थानों पर रेल रोकने की योजना को लागू किया गया। इसके अलावा, अन्य किसान संगठनों की पहल पर अमृतसर और फतेहगढ़ साहिब में रेल रोकी गई। पटियाला में भी रेल रोको आंदोलन का अच्छा असर दिखा। पटियाला रेलवे स्टेशन पर 12 बजे से पहले ही बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी पटरियों पर बैठ गए। यहां बड़ी संख्या में महिलाएं भी पटरियों पर दिखाई दी। पठानकोट में चक्की बैंक रेलवे स्टेशन पर ट्रैक जाम किया गया। किसान मजदूर संघर्ष समिति के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू, महासचिव स्वर्ण सिंह पंधेर, जसबीर सिंह पिद्दी, गुरलाल सिंह पंडोरी और रण सिंह ने कहा कि उनके संगठन से जुड़े किसानों ने पंजाब के 11 जिलों में 32 स्थानों रेलवे ट्रैक जाम किए।

उत्तर प्रदेश
आंदोलन को निष्प्रभावी करने के लिए यूपी पुलिस ने काफी सख्ती दिखाई। कानपुर में पुलिस ने सुबह से ही भाकियू के नेताओं की धर पकड़ शुरू कर दी। रुरा पुलिस ने भाकियू मंडल अध्यक्ष सहित आठ कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया, वहीं सरवनखेड़ा ब्लाक अध्यक्ष को भाऊपुर में रेलवे ट्रैक ब्लॉक करने की कोशिश में गिरफ्तार किया गया। इसके बावजूद प्रदेश में कई स्थानों पर
रेलवे ट्रैक को जाम करने में सफल रहे। किसानों के विरोध के चलते मुरादाबाद मंडल में रेल संचालन थम गया। इससे डिब्रूगढ़ राजधानी और जबलपुर-हरिद्वार एक्सप्रेस ट्रेनों को रोक देना पड़ा।
बरेली में भी लोग जगह-जगह ट्रेन रोकने के लिए इकट्ठा हुए। सेठ दामोदर स्वरूप पार्क में जमा हुए किसानों ने पुलिस की सख्ती को लेकर हंगामा भी किया। इस अवसर पर उनकी पुलिसकर्मियों से धक्का-मुक्की भी हुई। पुलिस की सक्रियता के चलते किसान रेलवे ट्रैक तक नहीं पहुंच पाए।गौतमबुद्धनगर में किसानों ने दनकौर रेलवे स्टेशन पर ट्रैक को जाम किया। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष अनित कसाना ने बताया कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नही लेगी तब तक देश भर में आंदोलन चलता रहेगा।

अन्य राज्य
राजस्थान की बात करें, तो वहां अनेक स्थानों पर रेलवे ट्रैक जाम रहे। जयपुर में भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने जगतपुरा और गांधीनगर रेलवे स्टेशनों पर चार घंटे तक ट्रैक पर कब्जा जमाए रखा। बड़ी संख्या संगठन के कार्यकर्ता यहां पटरियों पर बैठकर नारेबाजी करते रहे। जम्मू-कश्मीर में यूनाइटेड किसान मोर्चा के आह्वान पर किसानों ने 4 घंटे के राष्ट्रव्यापी ‘रेल रोको’ अभियान के अंतर्गत जम्मू के चन्नी हिमत इलाके में रेलवे ट्रैक को जाम किया। बिहार की राजधानी पटना में भी रेल रोको आंदोलन का असर रहा। वहां पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) ने पटना और कैमूर रेलवे स्टेशनों पर रेल यातायात को रोक दिया। पटना-सचिवालय हाल्ट पर रेलवे ट्रैक जाम करने को लेकर जन अधिकार पार्टी के एक दर्जन कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है।
उत्तर भारत के साथ साथ दक्षिण भारत में भी रेल रोको आंदोलन का असर दिखाई दिया। कर्नाटक में किसानों ने यशवंतपुर रेलवे स्टेशन पर धरना दिया और नारेबाजी करते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। सीटू और आल इंडिया किसान सभा ने उड़ीसा में रेल यातायात रोका। प. बंगाल, झारखंड, महाराष्ट्र में भी अनेक स्थानों पर आंदोलन का असर दिखा और रेल यातायात ठप्प रहा।


आपको बता दें कि रेल रोको आंदोलन के चलते देशभर के रेलवे स्टेशनों और अन्य इलाकों में रेल पटरियों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। रेल मंत्रालय ने सुरक्षा की दृष्टि से अलर्ट जारी करते हुए आरपीएफ-जीआरपी के जवानों की छुट्टियां भी रद्द कर दी थी। यही नहीं, रेलवे संरक्षा विशेष बल की 20 अतिरिक्त कंपनियों को तैनात किया गया था। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में भी सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए थे।
दिल्ली से लगे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, हापुड़ जंक्शन, गढ़मुक्तेश्वर, धौलाना और पिलखुवा रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। इन स्टेशनों के लिए अलग से मजिस्ट्रेट भी तैनात किए गए थे। मुरादाबाद में सहारनपुर की ओर जाने वाली ट्रेनों को रोके जाने की संभावना को देखते हुए वहां सुरक्षा के लिए आरपीएफ की अतिरिक्त तैनाती की गई थी। गाजियाबाद जिला प्रशासन व पुलिस ने रेलवे क्रॉसिंग और एनएच-24 के नजदीक रेलवे लाइनों की सुरक्षा बढ़ा दी थी। सुबह 8 बजे से ही जिले में चिह्नित किए गए स्थानों पर आरपीएफ, जीआरपी और पुलिस बल की तैनाती कर दी गई। किसानों के धरनास्थलों के नजदीक पड़ने वाली रेलवे लाइन, क्रॉसिंग और ऐसे स्थानों को चिह्नित किया गया, जो मुख्य मार्गों के नजदीक हैंं। दिल्ली के नांगलोई रेलवे स्टेशन पर भी भारी संख्या में दिल्ली पुलिस के जवान तैनात रहे।
राकेश टिकैत ने कहा, फसल जला देंगे पर पीछे नहीं हटेंगे

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि खेती के काम के कारण वे आंदोलन को कमजोर नहीं पड़ने देंगे। केंद्र सरकार इस मुगालते में न रहे कि किसान फसल कटाई के लिए चले जाएंगे और आंदोलन असफल हो जाएगा। टिकैत के मुताबिक, यदि सरकार ने हठ किया तो वे अपनी फसलों को जला देंगे, पर वापिस नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा, सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए कि प्रदर्शन 2 महीने में खत्म हो जाएगा।