3 दिसंबर को फिर होगी बातचीत
तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों और सरकार के बीच एक दिसंबर को हुई पहले दौर की बातचीत बिना किसी निर्णय के खत्म हो गई। अब तीन दिसंबर को फिर से किसानों के प्रतिनिधिमंडल और सरकार के बीच बातचीत होगी। तब तक किसानों ने अपने आंदोलन को जारी रखने का फैसला लिया है।
इस पहली बैठक में सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। इधर, किसानों के प्रतिनिधिमंडल में पंजाब की यूनियनों के 32 नेता और राष्ट्रीय समन्वय समिति के सदस्य शामिल थे। सरकार द्वारा राष्ट्रीय समिति के सदस्य योगेंद्र यादव के नाम पर आपत्ति जताने के बाद एक बार बैठक के बहिष्कार की स्थिति भी बन गई थी, लेकिन यादव ने अपने साथियों को इस के लिए राज़ी कर लिया कि उनके बिना बैठक कर ली जाए। इस के बाद शांतिपूर्ण माहौल में बातचीत की गई है लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका।
सरकार की ओर से वार्ता के दौरान आंदोलनकारी किसानों के सामने शर्त रखी गई कि वे बातचीत के लिए चार-पांच किसान नेताओं का नाम दे दें, ताकि उन्हें तथा सरकार के प्रतिनिधियों को मिलाकर एक समिति बनाई जा सके। यह समिति कृषि विशेषज्ञों के साथ भी कानून के बारे में चर्चा करे। लेकिन किसानों ने सरकार की इस शर्त को ठुकरा दिया और कहा कि जो भी बात होगी, वह सभी यूनियनों तथा राष्ट्रीय समिति के प्रतिनिधियों के साथ होगी।
बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमने किसानों को समझाने की कोशिश की है लेकिन अब फिर से तीन दिसंबर को हर मसले पर बातचीत होगी। इस दौरान सरकार ने किसानों से आंदोलन वापस लेने की मांग की। दूसरी ओर, किसान न केवल लगातार एमएसपी के लिखित आश्वासन पर अड़े रहे, बल्कि उन्होंने कृषि कानूनों की दूसरी खामियों को भी उजागर किया। साथ ही, सरकार द्वारा प्रस्तावित बिजली विधेयक और कृषि कानूनों के लिए बनाए जा रहे नियमों पर भी कड़ी आपत्ति जताई। फिलहाल किसानों ने आंदोलन को चालू रखने का फैसला लिया है। किसानों के समर्थन में अब दूसरे राज्यों के भी किसान संगठन पहुंच रहे हैं। दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी के किसान डटे हुए हैं। सरकार ने किसानों की लगातार बढ़ती तादाद को देखते हुए हरियाणा और दिल्ली के बीच के लिंक मार्गों को भी बंद कर दिया है। प्रशासन के इस फैसले के चलते दिल्ली आने-जाने वाले आम नागरिकों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
इस बीच शाहीन बाग के सीएए विरोधी धरने में शामिल होकर चर्चा में आई 82 वर्षीय दादी बिलकिस बनो भी किसानों के समर्थन में आ गई हैं। मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर किसानों का समर्थन करने पहुंची दादी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उन्होंने कहा कि हम किसानों की बेटियां हैं, हम किसानों के आंदोलन का समर्थन करेंगे। हम अपनी आवाज उठाएंगे, सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए। गुरुग्राम के रास्ते आंदोलन को समर्थन देने आ रहे मेवात के किसानों और बुद्धिजीवियों को भी पुलिस ने बॉर्डर पर रोक लिया और 50 से अधिक लोगों को कई देर तक हिरासत में रखा।