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चौंकानेवाले हो सकते हैं हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम

Posted on October 18, 2019October 23, 2019 by अविनाश सैनी (संपादक)
haryana election result

हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही दिन बचे हैं। भाजपा जहां 75 पार का दावा कर रही है, वहीं शैलजा व भूपेंद्र हुड्डा को कमान मिलने के बाद कांग्रेस का ग्राफी भी ऊपर उठा है और कांग्रेस तथा भाजपा के बागियों के दम पर जजपा भी दम दिखाने को तैयार है। नेतृत्वविहीन इनेलो हालांकि ऐलनाबाद और सिरसा जिले तक ही महदूद नजर आती है। फील्ड रिपोर्ट्स की मानें तो भाजपा के 75 पार के दावे पर भरोसा कमजोर होता जा रहा है। यह अलग बात है कि भाजपा का चुनाव प्रबंधन बहुत ही पुख्ता है और पार्टी अभी भी बढ़त बनाए हुए है।

भाजपा मोदी सरकार की गरीबों को मुफ्त गैस सिलेंडर और मुफ्त ईलाज की सुविधा देने जैसी योजनाओं तथा ईमानदार सरकार, बिना भेदभाव के ईमानदारी से नौकरी व गांवों में 24 घंटे बिजली पहुंचाने के सरकार के कामों को गिना रही है। इसके अलावा भाजपा नेताओं का ज्यादा जोर धारा 370, रॉफेल डील और बालाकोट आदि के सहारे राष्ट्रवाद की भावना को उभारने तथा स्थानीय स्तर पर जातिगत समीकरणों को भुनाने पर है। परंतु यह भी सच है कि लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो जलवा काम कर रहा था, वह अब कम नजर आता है और स्थानीय मुद्दे जोर पकड़ रहे हैं। प्याज के बढ़ते दाम, रसोई गैस के दामों में हुई बढ़ोतरी, बढ़ती बेरोजगारी, क्लर्क भर्ती के दौरान युवाओं को हुई भारी तकलीफ एवं कई युवाओं की मृत्यु, बिजली बोर्ड एसडीओ भर्ती में 80 में से हरियाणा के केवल 2 उम्मीदवारों के चुने जाने और मोटर व्हीकल एक्ट के तहत भारी-भरकम चालान के साथ-साथ मुख्यमंत्री की गर्दन काट देने वाली बात चुनावी चर्चा के केंद्र में है।

इधर कांग्रेस और जजपा ग्रामीण इलाकों में किसानों की समस्याओं, विशेषकर कृषि लागत में हुई बढ़ोतरी, सरकार द्वारा पूरी फसल न खरीदने, यूरिया के दाम बढ़ाने, ट्रैक्टर पर टैक्स लगाने जैसे मुद्दों को उछाल रही हैं तथा वृद्धावस्था पेंशन बढ़ाने, किसानों का कर्ज माफ करने, बिजली मुफ्त देने जैसे नारों के दाम पर अपनी नैय्या पार लगाने की जुगत में हैं। पार्टियों में भीतरघात, अधिकृत प्रत्याशियों के प्रति नाराज़गी और बागी उम्मीदवारों को मिल रही सहानुभूति का असर भी चुनाव परिणामों पर पड़ेगा।

फील्ड रिपोर्ट्स के अनुसार अभी भाजपा लगभग 35 से 38, कांग्रेस 25 से 30 और जजपा 7-8 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। 20-22 सीटों पर विभिन्न उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर नज़र आती है। महम, पूंडरी और सिरसा सहित कई सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी मुकाबले को दिलचस्प बनाए हुए हैं। रोहतक, सोनीपत व झज्जर जिले की बात करें तो कांग्रेस अपने वर्चस्व को कायम रखने की जी तोड़ कोशिश में है। यहां भूपेन्द्र और दीपेन्द्र हुड्डा का जलवा अभी भी कायम दिखाई देता है। मेवात में भी कांग्रेस प्रत्याशी मजबूत लग रहे हैं। खबर लिखे जाने तक बादली में कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़, महेन्द्रगढ़ में शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा, सोनीपत में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री कविता जैन, दादरी में पहलवान बबीता फौगाट और बरोदा में योगेश्वर दत्त जैसे धुरंधर पिछड़ रहे हैं। रोहतक में स्थानीय निकाय मंत्री मनीष ग्रोवर और नारनौंद में वित्तमंत्री अभिमन्यु भी कड़े मुकाबले में फंसते नज़र आ रहे हैं।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यह काफी मुश्किल चुनाव है। किसी पार्टी की हवा नहीं है। लगभग हर सीट का अपना अलग समीकरण है जो स्थानीय मुद्दों और प्रत्याशियों के व्यक्तिगत रिपोर्ट कार्ड पर आधारित है। इस बार “चुप” वोटरों की तादाद अधिक है जो उम्मीदवारों की धड़कनें बढ़ा रही है। भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता और रणनीतिक चुनाव प्रबंधन उसकी ताकत हैं। दुष्यंत की गतिशीलता और आक्रामकता तथा अन्य दलों के बागियों का साथ जजपा का सकारात्मक पहलू है। कांग्रेस अगर आपसी फूट के असर को कम करके निराशा से उभर आए और जीतने की इच्छाशक्ति से चुनाव लड़े तो अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। बहरहाल, हौसला बुलंद हो तो सभी के लिए संभावनाएं हैं। अब देखना यह है कि 21 तारीख को कौन मतदाताओं के विश्वास को जीतने में सफल होता है।

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1 thought on “चौंकानेवाले हो सकते हैं हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम”

  1. Santosh Mudgil says:
    October 19, 2019 at 1:12 am

    बढ़िया, सटीक और संतुलित विश्लेषण

    Reply

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