- एक नवंबर से किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ जन जागरण के लिए चलेंगे जत्थे, 9 नवंबर को सीएम सिटी करनाल में भरेंगे हुंकार।
- अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के झंडे तले प्रदेश के 33 किसान संगठन केन्द्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ एकजुट हुए।
- 26 और 27 नवंबर को “दिल्ली चलो” के आह्वान पर हरियाणा के किसान भी दिल्ली को घेरेंगे।
- एक नवंबर को, हरियाणा दिवस के मौके पर प्रदेश के कोने-कोने से किसान जत्थे चलेंगे और गांव गांव घूम कर किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ जन जागरण करेंगे।
- सभी जत्थे 9 नवंबर को सीएम सिटी करनाल पहुंच कर मुख्यमंत्री को चुनौती देंगे।
केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा के किसानों ने संघर्ष को और तेज़ कर दिया है। इसी कड़ी में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले प्रदेश के 33 किसान संगठनों ने 20 अक्टूबर को रोहतक में एक बैठक कर इन कानूनों के खिलाफ एक नवंबर से जनजागरण जत्थे चलाने और 26 व 27 नवंबर को दिल्ली का घेराव करने का फैसला लिया है। सभी संगठनों ने सर्वसम्मति से आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा लादे गए ये कानून खेती-किसानी में कंपनी राज लाने की कोशिश है। उन्होंने तय किया कि किसान तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक सरकार इन कानूनों को वापिस नहीं ले लेती।
संघर्ष समिति की ओर से कॉमरेड इंदरजीत सिंह ने बताया कि 1 नवंबर को हरियाणा दिवस के अवसर पर प्रदेश के कोने-कोने से किसान जत्थे रवाना होंगे। इन जत्थों के माध्यम से गांव-गांव जाकर किसानों को इन कानूनों के खेती-किसानी पर पड़ने वाले दुष्परिणाम के बारे में चेताया जाएगा। ये जत्थे 9 नवंबर को सीएम सिटी करनाल में आकर जुटेंगे और प्रदेशभर से आए किसान हरियाणा सरकार को चुनौती देंगे।
सभी संगठनों ने प्रदेश में जगह-जगह पर इन कानूनों के खिलाफ चल रहे धरने-प्रदर्शनों और दूसरे आंदोलनों का समर्थन किया। इनमें सिरसा में चल रहा “पक्का मोर्चा” और जींद, उचाना, ढाणी गोपाल, कंडेला, गढ़ी दात सिंह, रतिया, असंध और करनाल में चल रहे अनिश्चितकालीन धरने शामिल हैं।
बैठक की अध्यक्षता कर रहे संघर्ष समिति के राष्ट्रीय वर्किंग ग्रुप के सदस्य प्रेम सिंह गहलावत, सत्यवान और योगेंद्र यादव ने सभी किसान संगठनों आह्वान किया कि इन धरनों को सफल बनाने के साथ-साथ प्रदेश में अन्य स्थानों पर भी पक्का मोर्चा या धरना लगाएं। उन्होंने सरकार से मांग करी कि अनाज का एक-एक दाना खरीदने की अपनी घोषणा के मुताबिक प्रदेश में फसल की खरीद की जाए।
बैठक में पारित एक प्रस्ताव में पराली जलाने को लेकर सरकार द्वारा अपनी जिम्मेदारी निभाए बिना किसानों पर दोष मढ़ने की निंदा की गई। इस अवसर पर प्रदेश में प्रदर्शन कर रहे किसानों के विरुद्ध दमनात्मक कार्यवाही और झूठे मुकदमे बनाने की भी आलोचना की गई।
आपको बता दें कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति देश के 250 से अधिक किसान संगठनों का समन्वय है। इसकी हरियाणा इकाई की स्थापना पिछले वर्ष नवंबर में हुई थी। तब इसमें 19 संगठन जुड़े थे। 20 अक्टूबर की बैठक में प्रदेश से 14 और संगठन इसमें जुड़ गए।