लॉकडाउन के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए बैंकिंग सेक्टर को 6 महीने के लिए जन उपयोगी सेवाओं में शामिल कर लिया है। यह बदलाव इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट के तहत किया गया है। बैंकिंग सेक्टर पर इस एक्ट के लागू होने के बाद अब कोई भी बैंक कर्मचारी या अधिकारी हड़ताल नहीं कर सकेगा।
नया नियम 21 अप्रैल से लागू हो गया है और यह 21 अक्टूबर तक लागू रहेगा। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आधीन आने वाले वित्तीय सेवा विभाग की ओर से 20 अप्रैल को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि श्रम मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन के जरिए बैंकिंग इंडस्ट्री को 21 अप्रैल से 6 महीने के लिए जन उपयोगी सेवाओं में शामिल कर लिया है। श्रम मंत्रालय की ओर से 17 अप्रैल को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण आर्थिक गतिविधियों पर बड़े पैमाने पर असर पड़ा है। इसी कारण बैंकिंग सेक्टर को जन उपयोगी सेवाओं में शामिल किया गया है।
यह सर्कुलर आरबीआई, एसबीआई समेत सभी बैंकों को भेजा गया है। वित्तीय सेवा विभाग ने नए कानून के लागू होने के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, एसबीआई के चेयरमैन, राष्ट्रीयकृत बैंकों के एमडी और सीईओ तथा इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के सीईओ को सर्कुलर भेज दिया है।
उल्लेखनीय है कि भारत में बैंकिंग सेक्टर में अधिकारियों एयर कर्मचारियों की दर्जनभर से ज्यादा यूनियन हैं। ये यूनियन हर 3 साल की अवधि पर आईबीए के साथ वेतन समेत अन्य मुद्दों पर विचार करती हैं। आपको बता दें कि सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों के साथ एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, फेडरल बैंक जैसे पुराने प्राइवेट सेक्टर के बैंक आईबीए के सदस्य हैं। इसके अलावा पुराने विदेशी बैंक एचएसबीसी और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक बीबीए के सदस्य हैं। ये सभी बैंक वेतन और कर्मचारियों के अन्य मुद्दों को सुलझाने के लिए आईबीए से बातचीत करते हैं। कोटक बैंक, इंडसइंड बैंक और यस बैंक जैसे नए बैंक आईबीए के नियमों के दायरे से बाहर हैं।