बरोदा हलके के गांव बुटाना की नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ यदि 10 दिन में सख्त कार्यवाही नहीं कि गई तो प्रशासन को बड़े जनांदोलन का सामना करना पड़ेगा। यह घोषणा इस मामले पर 29 अक्टूबर को सोनीपत में हुई जन आक्रोश सभा के बाद की गई। आक्रोश सभा में विभिन्न सामाजिक संगठनों के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने पुलिस उत्पीड़न और बर्बरता के खिलाफ रोष प्रकट करते हुए प्रशासन पर दोषियों को बचाने का आरोप लगाया। बाद में, इस मामले को लेकर एक संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया गया, जो आगे की कार्यवाही का निर्णय लेगी और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष का नेतृत्व करेगी। संयुक्त संघर्ष समिति ने बैठक कर प्रशासन को अल्टीमेटम दिया है कि 10 दिन में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए, वरना वे जनांदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
बता दें कि पिछले 30 जून की रात को बुटाना में दो पुलिसकर्मियों की कथित हत्या कर दी गई थी। इसके अगले ही दिन पुलिस ने एनकाउंटर करते हुए एक लड़के को मार डाला था। इस मामले में पुलिस ने बुटाना गांव की दो दलित लड़कियों को भी दोषी बताया था, जिस पर 2 जुलाई को लड़कियों ने बुटाना चौकी में सरेंडर कर दिया था। आरोप है कि सरेंडर के बाद पुलिस चौकी बुटाना, बरोदा थाना और सीआईए स्टॉफ गोहाना के एक दर्जन पुलिसकर्मियों ने लड़कियों को भयंकर यातनाएं देने के साथ-साथ नाबालिग लड़की के साथ वीभत्स तरीके से गैंगरेप किया।
परिजनों के मुताबिक पुलिसकर्मियों ने दरिंदगी की सारी हदें पार करते हुए नाबालिग लड़की के गुप्तांगों मे डंडा और कांच की बोतल तक ठूंस दी। इसके कारण लड़की के गुप्तांगों से आतंरिक खून का बहाव अभी तक भी नहीं थम पाया है। अफसोस की बात है कि घटना के चार महीने बाद भी प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की कोई जांच नहीं करवाई गई है। अपनी पीड़ा का इज़हार करते हुए परिजनों ने कहा कि निर्भया के साथ हुई दरिंदगी के बाद पूरे देश के लोग विरोध में उठ खड़े हुए थे। अब हाथरस की घटना पर भी व्यापक विरोध-प्रदर्शन किए जा रहे हैं। मीडिया ने भी मुद्दे को काफी तरजीह दी। लेकिन बुटाना की घटना को न तो मीडिया ने उठाया और न ही इसे लेकर समाज में कोई हलचल दिखाई दी। यहां तक कि इतने भयावह घटनाक्रम और पुलिस-प्रशासन की कथित मिलीभगत के बावजूद राजनीतिक दल भी पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, लड़की ने 10-12 पुलिसकर्मियों पर दरिन्दगी का आरोप लगाया है, जबकि लड़की की मां के भूखहड़ताल पर बैठने के बाद तीन पुलिसकर्मियों के विरुद्ध केस दर्ज किया गया है। यह अलग बात है कि उन्हें भी न तो गिरफ्तार किया गया है और न ही विभागीय कार्यवाही करते हुए उन्हें पद से हटाया गया है। इस हालत के बावजूद पीड़िता सहित, दोनों लड़कियां भी अभी तक हिरासत में हैं।
29 अक्टूबर को सामाजिक-राजनीतिक संगठनों द्वारा आयोजित जनसभा में घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्यवाही के लिए आंदोलन को तेज़ करने का फैसला लिया गया। सभा में मांग रखी गई कि दोनों लड़कियों के साथ हुए गैंगरेप की न्यायिक जांच हो और दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। इस मौके पर आम नागरिकों के अलावा छात्र एकता मंच, नौजवान भारत सभा, छात्र अभिभावक संघ, एसएफएस चंडीगढ़, बेखौफ आजादी चंडीगढ़, भारतीय किसान पंचायत, एसयूसीआई, पीएसएफ, भीम आर्मी, दिशा छात्र संगठन, बाल्मीकी सभा, आजाद समाज पार्टी (ASP), लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी (LSP) आदि संगठनों के प्रतिनिधि भी मुख्य रूप से मौजूद रहे।