हरियाणा की पंचायतों में महिलाओं को बराबर की हिस्सेदारी मिलने का रास्ता साफ हो गया है। 6 नवंबर को हरियाणा विधानसभा ने ध्वनिमत से पंचायती राज अधिनियम में संशोधन करते हुए पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी 33 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दी। अब प्रदेश में होने वाले पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव में आधे पद महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे, यानी आधे गांवों में महिला सरपंचों की सरदारी होगी। यही नहीं, जिला परिषद एवं पंचायत समिति अध्यक्षों के साथ-साथ जिला व ब्लॉक समिति सदस्यों और पंचों के भी आधे पदों पर महिलाएं आसीन होंगी।
नए कानून के अनुसार, 2021 के आरंभ में प्रस्तावित पंचायत चुनावों में सम-विषम संख्या के आधार पर महिलाओं एवं पुरुषों के लिए सीट आरक्षित होंगी। इस बार जिस गांव में महिला सरपंच निर्वाचित होगी, अगली योजना में उस गांव में पुरुष सरपंच होगा। संशोधन विधेयक पारित होने पर डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने महिलाओं को बधाई देते हुए कहा कि यह कानून प्रदेश की महिलाओं में नए आत्मविश्वास का संचार करेगा और उन्हें सशक्त बनाएगा।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि भविष्य में होने वाले पंचायती राज संस्थाओं, यानी जिला परिषद, ब्लॉक पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों के चुनावों में यह नियम लागू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक गांव को सम-विषम संख्या के आधार पर कोड दिए जाएंगे। पहली बार में सम क्रम वाले गांवों में महिला सरपंच रहेगी और अगली बार विषय क्रम संख्या वाले गांवों में महिला सरपंच बनेगी। इस तरह हर पांच वर्ष बाद गांव में महिला सरपंच बनेगी। आरक्षित पदों पर भी यह नियम लागू होगा और उनमें भी सम-विषम संख्या के आधार पर पद आरक्षित होंगे। यही नहीं, ग्राम पंचायत के पंचों के विषय में भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी और 50 फीसदी पंचों के पद महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे।
इसी तरह जिला परिषद और ब्लॉक समिति के सदस्यों और चेयरमैन के पदों के लिए भी ऑड-ईवन का फार्मूला लागू किया जाएगा। गौरतलब है कि संशोधित कानून के मुताबिक, अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित सीटों और अन्य सीटों के लिए अलग-अलग समूह माने जाएंगे और उन सभी समूहों में महिला आरक्षण लागू किया जाएगा।