एक की हालत गंभीर
आज सुबह जब भोर फटी तो आंदोलन कारी किसान अपने तीन और साथियों को खो चुके थे। किसान आंदोलन में हिस्सा लेने आए इन तीनों किसानों की मौत कुंडली बॉर्डर पर हुई है। इनके अलावा, एक किसान की हालत गंभीर बनी हुई है।
पुलिस की शुरूआती जांच में पता चला है कि किसान आंदोलन में हिस्सा लेने आए किसान बलवीर सिंह गोहाना क्षेत्र से, जगबीर सिंह जींद जिले के ईटल गांव से और निर्भय सिंह पंजाब के गांव लिदवा के रहने वाले हैं। रविवार सुबह को गोहाना के गांव गंगाना के रहने वाले किसान बलवीर सिंह की मौत की सूचना आई। मृत किसान के साथ मौजूद अन्य किसानों ने बताया कि वे शनिवार रात तक स्वस्थ्य थे, केवल थोड़ी थकान महसूस कर रहे थे। रात में खाना खाने के बाद वे पारकर माल के पास टैंट में सो गए थे। सुबह जब वे देर तक नहीं उठे और साथी किसानों ने उन्हें जगाने का प्रयास किया, तो उनके शरीर में कोई हलचल नहीं थी। इसकी सूचना किसान आंदोलन में तैनात चिकित्सक को दी गई। चिकित्सक ने किसान को मृत घोषित कर दिया।
किसान बलवीर सिंह की मौत के कुछ समय बाद ही पंजाब के लिदवा गांव निवासी निर्भय सिंह की हालत खराब हो गई। उनको तत्काल सिविल अस्पताल भेजा गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इसी तरह, जींद जिले के ईटल गांव के जगबीर सिंह भी अपनी ट्रॉली में मृत पाए गए। वे शुरू से ही आंदोलन में शामिल थे। इनके अलावा, धरनास्थल पर गोहाना के गांव गंगाना के किसान युधिष्ठर सिंह को दिल का दौरा पड़ गया। उन्हें भी सिविल अस्पताल ले जाया गया। बाद में हालत गंभीर होने के कारण उन्हें पीजीआई रैफर कर दिया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, कल टीकरी बॉर्डर पर बेलरखां (जींद, हरियाणा) के मनीराम और भठिंडा के 18 वर्षीय जश्नप्रीत सिंह आंदोलन पर कुर्बान हो गए थे।
जांच के दौरान पुलिस ने आशंका जताई है कि इन सभी किसानों की मौत सर्दी लगने से हुए हृदयाघात के कारण हो सकती है। मौत के वास्तविक कारणों की जानकारी पोस्टमार्टम के बाद ही हो सकेगी। बता दें कि अभी तक 50 के करीब आंदोलनरत किसानों की अलग-अलग कारणों से मृत्यु हो चुकी है। इनमें से 3 लोगों ने आत्महत्या की है।
गौरतलब है कि दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर्स पर किसानों के धरना प्रदर्शन को आज 40 दिन हो चुके हैं। कुंडली और टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन करने वालों में ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं। शाहजहांपुर में हरियाणा और राजस्थान के किसान अधिक हैं, जबकि गाजीपुर में यूपी के किसान मोर्चा संभाले हुए हैं। सबसे बड़ा जमावड़ा कुंडली बॉर्डर पर है, जहां पंजाब के किसान बहुतायत में हैं। पंजाब की यूनियनों के अधिकतर किसान नेता भी वहीं हैं।
नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के लिए रविवार की सुबह काफी मुश्किल भरी रही। राजधानी दिल्ली और आसपास के कई इलाकों में मूसलाधार बारिश और कड़ाके की ठंड के कारण किसानों को काफी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। फिलहाल किसानों और सरकार के बीच वार्ता 4 जनवरी को प्रस्तावित है। किसान संगठन तीनों नए कृषि कानूनों को वापिस लेने की मांग कर रहे हैं।