अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने आर्थिक मोर्चे पर भारत के मूड को खराब कर दिया है। शुक्रवार, 9 नवंबर को जारी अपनी रिपोर्ट में मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत के रेटिंग आउटलुक को घटा दिया है। एजेंसी ने भारत के बारे में अपने आउटलुक यानी नजरिए को ‘स्टेबल’ (स्थिर) से घटाकर ‘नेगेटिव’ (नकारात्मक) कर दिया है। इसके लिए ऐजेंसी ने देश की कमजोर आर्थिक वृद्धि को प्रमुख कारण बताया गया है। मूडीज के अनुसार अर्थव्यवस्था सुस्त होने से जोखिम बढ़ रहा है। ऐसे में आर्थिक मंदी को लेकर चिंताएं लंबे समय तक रहेंगी। इससे नई नौकरियां पैदा नहीं होंगी और कर्जा बढ़ेगा।
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट समीर नारंग ने मूडीज की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मूडीज का आकलन अनुमान के मुताबिक है। यह बात बाजार को पहले ही मालूम थी। हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से अर्थव्यवस्था की समस्याएं शीघ्र ही दूर हो जाएंगी। एचडीएफसी बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट अभीक बरुआ ने भी मानना है कि मूडीज का कदम अनुमान के मुताबिक है। उन्होंने कहा, यह बात सच है कि भारत के आर्थिक हालात बिगड़े हैं। लेकिन साल भर में फिर से ग्रोथ देखने को मिल सकती है। दूसरी ओर, मूडीज का कहना है कि सरकार आर्थिक सुस्ती को दूर करने में विफल रही है और पहले के मुकाबले ग्रोथ की रफ्तार कम रहेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का आउटलुक नेगेटिव होने से विदेशी निवेश पर सीधा असर पड़ेगा। यह भारत के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है क्योंकि वह विदेशी निवेश आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है।
एसबीआई सहित कई कंपनियां हुईं डाउनग्रेड
अपनी रिपोर्ट में मूडीज ने कुल 17 भारतीय कंपनियों की रेटिंग आउटलुक को ‘स्टेबल’ से घटाकर ‘निगेटिव’ कर दिए हैं। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, टीसीएस, इंफोसिस, अदानी ग्रीन, पावर ग्रिड, अदानी ट्रांसमिशन, एनएचएआई, एनटीपीसी और बीपीसीएल आदि शामिल है।
कई एजेंसियों ने भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाया
गौरतलब है कि पिछले महीने ही मूडीज ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट को घटाकर 5.8 फ़ीसदी कर दिया है। दुनिया की दूसरी रेटिंग एजेंसियां भी भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटा रही हैं। आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, एडीबी ने भी ग्रोथ रेट को कम किया है। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां विभिन्न देशों की सरकारों की उधारी चुकाने की क्षमता का आकलन करती हैं। इसके लिए वे इकोनॉमिक, मार्केट और राजनीतिक, तीनों तरह के जोखिम को आधार बनाते हैं। उनकी रेटिंग बताती है कि क्या देश आगे चलकर अपनी देनदारियों का समय पर भुगतान कर सकेगा!
इसके विपरीत मूडीज की रिपोर्ट जारी होने के बाद वित्त मंत्रालय ने देश के इकॉनोमिक फंडामेंटल्स के मजबूत होने का दावा किया है। मंत्रालय का कहना है कि भले ही मूडीज ने आउटलुक हटाया हो लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली इकोनॉमी में शामिल है। सरकार ने पूरी इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार के कई नीतिगत फैसलों से भी इकोनॉमी के फंडामेटल्स मजबूत रहेंगे और महंगाई दर नियंत्रण में रहेगी। मंत्रालय ने दावा किया कि कई वित्तीय संस्थानों, विशेषकर आईएमएफ का आउटलुक भारत के पक्ष में है। पिछले वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में आईएमएफ ने कहा था कि वित्त वर्ष 2019 में भारत की ग्रोथ रेट 6.1% रहेगी जबकि 2020 में यह बढ़कर 7% हो जाएगी। भारत की पोटेंशियल ग्रोथ रेट बरकरार है।