- डिस्कस थ्रो में मिली निराशा
- घुड़सवारी में भी मिली हार
सारी दुनिया, 2 अगस्त। Tokyo Olympics में भारतीय महिला हॉकी टीम ने इतिहास रचते हुए पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में जगह बना ली है। सोमवार को खेले गए क्वार्टर फाइनल मुकाबले में भारत ने दुनिया में चौथे नंबर की टीम ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से मात दी। भारत ओर से एकमात्र और निर्णायक गोल गुरजीत कौर ने 22वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर से किया। भारत की सिर्फ एक पेनाल्टी कॉर्नर मिला और गुरजीत ने उसी को गोल में बदल दिया। गुरजीत का यह ओलंपिक में पहला गोल है। वैसे, भारतीय टीम की जीत का श्रेय गोलकीपर सविता पुनिया को जाता है, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया के 7 पेनाल्टी कॉर्नर सहित 9 बेहतरीन बचाव किए। रक्षा पंक्ति की एका और ऊदिता सहित मिडफील्डर मोनिका ने उनका बखूबी साथ निभाया।
अब सेमीफाइनल में भारत का सामना 4 अगस्त को अर्जेंटीना से होगा, जिसने जर्मनी को 3-0 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई है। भारतीय पुरुष टीम पहले ही सेमीफाइनल में जगह बना चुकी है। इसके साथ ही भारत दुनिया का पहला देश बन गया है, जिसकी महिला और पुरुष, दोनों टीमें सेमीफाइनल में पहुंची हैं।
बता दें कि भारतीय महिला हॉकी टीम का ओलंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1980 के मॉस्को खेलों में रहा था। तब भारतीय टीम छह प्रतिभागियों में चौथे स्थान पर रही थी। अब टोक्यो ओलंपिक में भी वह चौथे स्थान पर तो पहुंच ही चुकी है। सेमीफाइनल में अर्जेंटीना को हराते ही उसका पहली बार ओलंपिक पदक जीतने का सपना साकार हो जाएगा।
निराशाजनक शुरुआत के बाद जबरदस्त वापसी
टोक्यो में महिला टीम की शुरुआत काफी निराशाजनक रही थी। उसे अपने शुरुआती तीन मैचों में नीदरलैंड, जर्मनी और गत चैम्पियन ग्रेट ब्रिटेन से हार झेलनी पड़ी। इसके बाद शानदार वापसी करते हुए भारतीय लड़कियों ने अपने से ऊंची रैंकिंग की आयरलैंड को 1-0 से हराया और फिर दक्षिण अफ्रीका को 4-3 से मात देकर खुद को क्वार्टर फाइनल की दौड़ में बनाए रखा। पूल के अंतिम मैच में ब्रिटेन की आयरलैंड पर 2-0 की जीत के बाद भारत का अंतिम आठ में स्थान पक्का हो गया। भारत अपने ग्रुप में दो जीत और तीन हार के साथ चौथे स्थान पर रहा।
इसलिए भी है जीत महत्वपूर्ण
आज के मैच में भारतीय महिला हॉकी टीम ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंका दिया है। रानी रामपाल के नेतृत्व में खिलाड़ियों ने जिस तरह की हॉकी खेली और अपने से मजबूत ऑस्ट्रेलिया को शिकस्त दी, उसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा। आज भारतीय लड़कियों का कोई तोड़ ऑस्ट्रेलिया के पास नहीं था। पहले क्वार्टर में दोनों टीमें बराबरी पर रहीं, मगर पहला हाफ खत्म होते-होते टीम इंडिया ने गोल कर बढ़त बना ली, जो अंत तक कायम रही। गोल खाने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने कई अच्छे पलटवार किए, लेकिन वह भारतीय डिफेंस को नहीं भेद पाई। खासतौर पर भारतीय गोलकीपर सविता पुनिया ने ऑस्ट्रेलिया के वापसी के हर आक्रमण का सफल बचाव किया। इस मैच में उनका प्रदर्शन 100 फीसदी रहा। यह भारतीय डिफेंस की ताकत ही थी कि उसने उस टीम को एक भी गोल नहीं करने दिया, जिसने ग्रुप स्टेज में विरोधियों पर 13 गोल दागे थे। भारतीय जीत इस मायने में भी महत्वपूर्ण है, कि पिछली बार Riyo Olympics में इसी ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 6-1 से हराया था।
मजबूत डिफेंस और बेहतर रणनीति रही हमारी ताकत
इस मैच में भारतीय लड़कियां अलग ही रंग में दिखीं। उन्होंने न केवल शुरू से ही कंगारुओं के एक-एक मूव को नाकाम किया, बल्कि आक्रामक हॉकी खेलते हुए गोल के मूव भी बनाए। पहले क्वार्टर में भारतीय खिलाड़ियों ने कुछ बेहतरीन मौके बनाए, लेकिन वे गोल नहीं कर सकीं। खेल के नौंवे मिनट में वंदना कटारिया का शॉट पोस्ट पर लगते हुए बाहर निकल गया। इस बीच ऑस्ट्रेलिया के पास भी गोल करने के मौके आए, लेकिन वह भारतीय डिफेंस को भेद नहीं पाईं।
दूसरे क्वार्टर के शुरू के 5 मिनट ऑस्ट्रेलिया के नाम रहे। इस दौरान उसे तीन पेनल्टी कॉर्नर मिले, जो भारत ने बेकार कर दिए। क्वार्टर के 7वें मिनट में भारत को पहला पेनाल्टी कॉर्नर मिला और ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर ने कोई गलती न करते हुए ओलिंपिक में अपना पहला गोल दाग दिया। भारत की यह बढ़त अंत तक बनी रही।
तीसरे और चौथे क्वार्टर में ऑस्ट्रेलिया को कुल छह पेनल्टी कॉर्नर मिले, जिन्हें भारतीय रक्षापंक्ति ने इन मौकों को फिर से नाकाम कर दिया। तीसरे क्वार्टर के 43वें एवं 44वें मिनट में भारत को भी स्कोर करने करने के मौके मिले, लेकिन नवनीत कौर और रानी रामपाल इसे भुना नहीं सकीं।
डिस्कस थ्रो में मिली निराशा
आज भारत को महिला डिस्कस थ्रो में निराशा का सामना करना पड़ा है। भारत की कमलप्रीत कौर फाइनल में अपेक्षानुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाईं और छठे स्थान पर रहीं। फाइनल में वे 63.70 मीटर ही थ्रो सकीं, जबकि उन्हें मेडल हासिल करने के लिए 65.72 मीटर से ज्यादा का थ्रो करना था। कांस्य पदक विजेता क्यूबा की Yaime Perez इतने मीटर ही थ्रो किया है, जबकि 66.86 मीटर थ्रो करके जर्मनी की Kristin Pudenz ने रजत पदक जीता है।
कमल क्वालिफिकेशन राउंड में हासिल की गई दूरी को भी नहीं छू पाईं। वे अपने व्यक्तिगत बेस्ट थ्रो से 2.89 मीटर पीछे रहीं। बता दें कि एक दिन पूर्व ही क्वालिफिकेशन राउंड में कमलप्रीत ने 64 मीटर के निशान को छुआ था। उनका बेस्ट थ्रो 66.59 मीटर का रहा है।
घुड़सवारी में 23वें नम्बर पर रहे फवाद
घुड़सवारी में भी भारत को हार मिली है। ओलंपिक में भाग ले रहे एकमात्र भारतीय घुड़सवार फवाद मिर्जा फाइनल मुकाबले में 23वें स्थान पर रहे। इससे पहले फवाद क्वालिफिकेशन राउंड में 25वां स्थान हासिल कर जंपिंग इवेंट के फाइनल में पहुंचे थे। इस इवेंट में टॉप 25 घुड़सवारों को ही फाइनल में जगह मिलती है। फवाद के फाइनल में पहुंचने से घुड़सवारी में भारत की उम्मीदें जग गई थीं। लेकिन फाइनल में फवाद कोई करिश्मा नहीं कर पाए और 2 स्थानों के सुधार के साथ 23वें स्थान पर रहे। फवाद 20 साल बाद घुड़सवारी के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय हैं।
सीजन का बेस्ट देने के बावजूद दूती ओलंपिक से बाहर
भारत की टॉप स्प्रिंटर दूती चंद 200 मीटर दौड़ के सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाईं। क्वालिफिकेशन राउंड में दूती ने 23.85 सेकेंड में दौड़ पूरी की, जो उनका इस सीजन का बेस्ट टाइम है। इसके बावजूद वे हीट 4 में सबसे पीछे रहीं और सेमीफाइनल में प्रवेश नहीं कर पाईं।