- फिनलैंड लगातार तीसरी बार सबसे अधिक खुशहाल देश बना, जबकि युद्वग्रस्त अफगानिस्तान सबसे कम खुशहाल रहा
- भारत पिछले 6 वर्षों में 33 पायदान नीचे खिसका, सबसे कम खुशहाल 10 देशों में शामिल
दुनिया के खुशहाल देशों की सूची में भारत की स्थिति लगातार पिछड़ती जा रही है। इस साल भी हम अपना प्रदर्शन सुधारने की बजाए 4 पायदान नीचे खिसक गए। 20 मार्च को ‘वर्ल्ड हैप्पीनेस डे’ के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी हैप्पीनेस इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार खुशहाली के मामले में भारत का स्थान पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी नीचे है। यानी, दुनिया के खुश रहने वाले देशों के वैश्विक सूचकांक में हम अपने पड़ोसी देशों से ही पीछे हैं। इस बार कुल 153 देशों की इस सूची में भारत 144वें नंबर पर है, जबकि पिछले साल हम 156 देशों में 140वें नम्बर पर थे। पिछली रिपोर्ट्स पर गौर करें तो भारत की रैंकिंग लगातार गिर रही है। रिपोर्ट से पता चलता है कि हालांकि पिछले कुछ वर्षों में सारे विश्व की खुशहाली में गिरावट आई है, परन्तु भारत में यह गिरावट अधिक भी है और निरंतरता में भी है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थान सतत् विकास समाधान नेटवर्क (Sustainable Development Solution Network- SDSN) द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार गत 6 वर्षों में भारत में खुशहाली का स्तर 33 पायदान नीचे आ चुका है, जो बेहद चिंता की बात है। निस्संदेह सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली के चलते ही देश के हैप्पीनेस इंडेक्स में इतनी अधिक गिरावट आई है। इस सूची में भारत 2014 में 111 वें स्थान पर था। 2015 में छह पायदान फिसलकर हम 117वें और 2016 में और एक नम्बर नीचे 118वें स्थान पर आ गए। 2017 में 122वें स्थान पर रहा भारत 2018 में 11 पायदान फिसल कर 133 वें स्थान पर पहुंच गया। पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की योजना बना रहे देश के लिए बेशक यह शर्म, चिंता और चिंतन का विषय है। रिपोर्ट दर्शा रही है कि देश के नागरिक खुद को कितना खुश महसूस करते हैं! इसमें इस बात के संकेत भी छिपे हैं कि पिछले एक दौर में चिंता, उदासी और क्रोध सहित नकारात्मक भावनाओं में कितनी वृद्धि हुई है। अब यदि हम देश की बड़ी आबादी को खुशी ही नहीं दे पा रहे, या नकारात्मकता को नहीं रोक पा रहे, तो आखिर इस तरक्की का क्या मतलब है? सरकार को जरूर इस पर गौर करना चाहिए।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान (66), नेपाल (92), चीन (94), बांग्लादेश (107) और श्रीलंका (130) भी खुशी के मामले में हमसे आगे हैं। इनमें से चीन को छोड़कर बाकी सब आर्थिक स्थिति और भौतिक संसाधनों की दृष्टि से भारत से काफी पीछे हैं। पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल ने पिछले सालों में अपनी स्थिति सुधारी है, जबकि भारत की स्थिति में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। हम भारतीयों के लिए सबसे हैरानी की बात यह है कि आर्थिक तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान लगातार अपनी रैंकिंग में सुधार कर रहा है। वह पिछले साल 67वें नंबर पर था, जबकि 2016 में 92वें और 2017 में 80वें स्थान पर। इसी तरह बांग्लादेश पिछले साल 125 स्थान पर था और वह 18 पायदान ऊपर चढ़ा है।
देखने की बात यह है कि इस बार भारत सबसे कम खुशहाल 10 देशों में शामिल है। मालवी, यमन, बोत्सवाना, तंजानिया, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, रवांडा, जिम्बाब्वे, साऊथ सूडान और अफगानिस्तान जैसे बेहद गरीब और युद्धग्रस्त देश ही भारत से नीचे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, फिनलैंड ने दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची में लगातार तीसरी बार पहला स्थान हासिल किया है। यहां महज 55 लाख की आबादी है। रिपोर्ट में बताया गया कि सबसे खुशहाल देशों में ज्यादातर देश यूरोपीय हैं। एशिया का एक भी देश शीर्ष 20 खुशहाल देशों में शामिल नहीं हैं। 153 देशों की सूची में गृहयुद्ध, आतंकी हमलों और खूनखराबों से बदहाल रहने वाला अफगानिस्तान दुनिया का सबसे कम खुशहाल देश है।
इस साल पहली बार वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट में नगरों को भी शामिल किया गया है। नगरों के लिए जारी रैंकिंग’ में हेलसिंकी (फिनलैंड), आरहूस (डेनमार्क) और वेलिंगटन (न्यूज़ीलैंड) को 3 शीर्ष ‘खुशहाल नगर’ घोषित किया गया है। रिपोर्ट’ के आंकड़े वर्ष 2018-2019 के दौरान एकत्रित किए गए थे, अत: यह रिपोर्ट कोरोनोवायरस बीमारी (COVID- 19) के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए व्यापक प्रतिबंधों से प्रभावित नहीं है।
आपको बता दें कि वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स में 6 मानकों, प्रति व्यक्ति आय (जीडीपी), लोक विश्वास (यानी भ्रष्टाचार मुक्त सरकार और व्यापार), उदारता अर्थात अपनी पसंद की जिंदगी जीने में सामाजिक सहयोग, स्वस्थ जीवन की प्रत्याशा, सामाजिक सरोकार एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता को खुशी के संकेत के रूप में इस्तेमाल किया गया है। हमारे पड़ोसी देश भूटान के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2012 में 20 मार्च को विश्व खुशहाली दिवस घोषित किया था।
सबसे खुशहाल 10 देश
- फिनलैंड
- डेनमार्क
- स्विट्जरलैंड
- आइसलैंड
- नॉर्वे
- नीदरलैंड्स
- स्वीडन
- न्यूज़ीलैंड
- ऑस्ट्रिया
- लग्जमबर्ग
खुशहाल राष्ट्र का अर्थ –
जहाँ लोगों में अपनेपन का अहसास हो, एक-दूसरे पर भरोसा हो तथा वे साझा संस्थानों का (Shared Institutions) आनंद लेते हों, राष्ट्र खुशहाल होते हैं। इन राष्ट्रों में अधिक सहन क्षमता (Resilience) होती है, क्योंकि साझा-विश्वास कठिनाइयों के बोझ को कम करता है तथा स्वस्थ (well-being) समाज का निर्माण करता है।