- पुलवामा हमले के लिए गृह मंत्रालय की लापरवाही को बताया मुख्य कारण
- भ्रष्टाचार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री को लपेटा
अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए मशहूर जम्मू कश्मीर, गोवा और मेघालय के पूर्व राज्यपाल व पश्चिमी यूपी के कद्दावर नेता सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) एक बार फिर चर्चा में हैं। किसान आंदोलन के दौरान राज्यपाल पद पर रहते हुए अपनी ही सरकार को खरी-खरी सुनाने वाले पूर्व समाजवादी नेता इस बार जाने-माने पत्रकार Karan Thapar को दिए गए एक ताजा इंटरव्यू के कारण चर्चा में हैं।
हमारी नजर में यह पिछले 8 साल में भाजपा से जुड़े किसी भी नेता का सबसे hit interview है, जिसने निश्चित ही मोदी सरकार और भाजपा समर्थकों को असहज किया होगा। सत्ता के गलियारों में इस की क्या प्रतिक्रिया होती है, भाजपा और कांग्रेस नेता इसे किस तरह लेते हैं और इसका क्या नफा-नुकसान भारतीय राजनीति में होगा, यह भी जल्द सामने आ जाएगा, फिलहाल तो हम आपको बता दें कि यूट्यूब पर अपलोड होने के 1 दिन के भीतर ही 15 लाख से अधिक लोग इसे देख चुके थे। The Wire के लिए Intervie with Karan Thapar में सत्यपाल मलिक ने एक सुलझे हुए राजनीतिज्ञ की तरह भाषा का बहुत ही चतुराई से प्रयोग किया और सहज रहते हुए मानो मोदी सरकार की खाट ही खड़ी कर दी। अभी तक राहुल गांधी के अलावा कोई भी नेता पीएम मोदी पर सीधे-सीधे इस तरह से हमला नहीं कर पाया था। मलिक ने पीएम को इस तरह लपेटा है कि बात न करते बन रही है, न उगलते।
सत्यपाल मलिक ने PM Modi को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें कहीं। उन्होंने सबसे पहली और बड़ी बात भ्रष्टाचार को लेकर PM की मंशा को लेकर कही – “प्रधानमंत्री जी को भ्रष्टाचार से कोई बहुत नफरत नहीं है।” यह बात उन्होंने उन मोदी के बारे में कह डाली जो हर रोज कई कई बार संकल्प दोहराते हैं कि भ्रष्टाचार को लेकर उनकी सरकार 0% tolerance की नीति पर काम कर रही है, उन्होंने भ्रष्टाचार को खत्म किया है और वे भ्रष्टाचार का खात्मा कर रहे हैं। भ्रष्टाचार के लिए पूरी तरह से कांग्रेस को दोष देने वाले मोदी की यही वह बात है जिसके लिए देश की जनता में उनकी इतनी कद्दावर छवि है और लोग उन्हें भ्रष्टाचार का काल मानते हैं, लेकिन अब उन्हीं की पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल ने उनकी इस छवि पर करारी चोट कर दी है।
अभी तक मोदी जी की छवि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की तरह बनी हुई थी, जो भ्रष्टाचार रूपी रावण को खत्म कर रहा है, जबकि सत्यपाल मलिक के इस इंटरव्यू ने मोदी जी की इस छवि को तार-तार कर दिया है। मलिक ने कहा कि भाजपा की राज्य सरकारें भ्रष्ट हैं और उनका इकट्ठा किया हुआ धन ऊपर तक न पहुंचता हो ऐसा हो ही नहीं सकता। मुख्यमंत्री उसे अकेले नहीं खा सकते। हालांकि उन्होंने यह भी कह दिया कि j&k के दो-तीन मामलों में भ्रष्टाचार को रोकने के उनके कदम को मोदी जी की प्रशंसा भी मिली, लेकिन गोवा के ऐसे ही मामले उजागर करने पर तुरंत उनका तबादला कर दिया गया।
दूसरी बहुत ही बड़ी बात उन्होंने पुलवामा आतंकी हमले के बारे में कही। उन्होंने कहा कि इस मामले में उन्हें बोलने से रोक दिया गया था। बेशक उन्होंने इस बारे में मोदी जी पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की, लेकिन केंद्र सरकार पर लापरवाही बरतने का इल्जाम लगाकर उसे कठघरे में खड़ा करने का काम तो कर ही दिया। उनके अनुसार यह intelligence की असफलता और गृह मंत्रालय की संवेदनहीनता का नतीजा था। इतना बड़ा कानवाई कभी रोड से नहीं जाता। पांच एयरक्राफ्ट मांगे गए थे जो उपलब्ध करवाने चाहिएं थे, लेकिन राजनाथ सिंह के गृह मंत्रालय ने एयरक्राफ्ट देने से मना कर दिया। घटना के बाद जब उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री से बात की तो उन्होंने उन्हें चुप रहने को कहा और वे समझ गए कि अब इस घटना का रुख दूसरी ओर (यानी पाकिस्तान की ओर).मोड़ दिया जाएगा। जब करण थापर ने कहा कि इसका राजनीतिक फायदा उठाया गया तो उनका रुख सहमति वाला था। इस पूरी बात ने भाजपा की राष्ट्रवाद की छवि को नेस्तनाबूद करने का काम कर दिया जो उसका सबसे बड़ा राजनीतिक हथियार रहा है। मलिक ने तो यह तक कह दिया कि उन्हें कश्मीर के मामलों पर न बोलने की सख्त हिदायत की गई थी।
मोदी जी के बारे में एक और बात यह प्रचलित है कि वे सब जानते हैं, हर मामले की समझ रखते हैं, हर काम को करने में पूरे सक्षम हैं और मोदी है तो मुमकिन है। सत्यपाल मलिक ने उनकी इस छवि को भी तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि वे जब भी अलग-अलग मुद्दों को लेकर मोदी जी से मिले तो उन्हें लगा कि PM Modi को उनके बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी। उन्होंने पीएम को लेकर ill-informed person शब्द का प्रयोग किया जो प्रधानमंत्री की कार्य कुशलता को लेकर एक बड़ी टिप्पणी मानी जा सकती है। उन्होंने कहा कि मोदी अपने आप में ही मस्त हैं, कुछ भी होता रहे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ( to hell with it, जो हो रहा है)।
सत्यपान मलिक ने एक अन्य बात में मोदी सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं को पंगु बनाने की तरफ सी इशारा कर दिया। इस बात को कोंग्रेस और विशेष तौर पर उनके नेता राहुल गांधी काफी जोर-शोर से उठाते रहे हैं। अब उन्हें सत्यपाल मलिक का भी साथ मिल गया है। स्वयं का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति तक अपनी इच्छा से अपने गवर्नर से नहीं मिल सकतीं। यह भी PMO तय करता है कि वे किससे मिलेंगी और मिलेगी या नहीं मिलेंगी। जब करण ने कहा कि क्या वे PMO की puppet हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि यहां कुछ भी संभव है। इसी सिलसिले में उन्होंने दूसरी बात यह कही कि राहुल की संसद सदस्यता खत्म करना और संसद में उन्हें न बोलने देना बहुत ही खराब बात है। यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास राहुल के आरोपों का कोई जवाब नहीं है। अपनी पूरी बातचीत में सत्यपाल मलिक राहुल गांधी के लिए संघर्ष का गलियारा खोलते नजर आए। उन्होंने राहुल द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों के इर्द-गिर्द ही सरकार को घेरा। दूसरे, उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल का कद बढ़ा है और भाजपा उन से परेशान हैं, घबराई हुई है।
राहुल को तवज्जो देने के अलावा उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah पर भी सकारात्मक टिप्पणियां कीं। शाह को उन्होंने मुद्दों के प्रति गंभीर और well-informed बताया। मोदी और शाह की तुलना में वे अमित शाह को अधिक नंबर देते नजर आए।इससे यह भी लग सकता है कि भाजपा के अंदरूनी conflict में सत्यपाल मलिक का झुकाव शाह की तरफ अधिक रहा, जिसका लाभ उन्हें मिल सकता है। उन्होंने किसान आंदोलन के बाद चरखी दादरी में दिए गए एक इंटरव्यू में शाह के बारे में की गई टिप्पणी को भी वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि शाह ने मोदी के बारे में ऐसी कोई बात नहीं कही थी जो उन्होंने इंटरव्यू में बोली थी। यह उनकी गलती है और वे इन शब्दों को वापस लेते हैं।
एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह रही कि पुलवामा हमले में लापरवाही का पूरा ठीक करा उन्होंने तत्कालीन गृहमंत्री यानी राजनाथ सिंह पर फोड़ दिया। इसके भी राजनीति गलियारों में कई अर्थ निकल सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अडानी बीजेपी को खत्म कर देंगे और अगर विपक्ष बेहतर रणनीति बनाए तो बीजेपी अपनी पहचान भी नहीं बचा पाएगी। जब अंत में करण में अंदेशा जताया कि उनके इस इंटरव्यू से सरकार असहज हो सकती है और उन्हें अवांछनीय स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, तो उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें छेड़ने की हिम्मत नहीं कर सकती; उनके साथ उनके समुदाय की support हैं और अगर उन्हें छेड़ा गया तो बीजेपी को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
कुल मिलाकर सत्यपाल मलिक का यह इंटरव्यू 2024 के चुनावों को देखते हुए काफी महत्वपूर्ण कहा जा सकता है। इससे जहां विपक्ष को नई ऊर्जा मिल सकती है, वहीं बीजेपी के अंदर भी खलबली मच सकती है। संभवतः लोगों को भी इस से कोई नई दृष्टि मिल पाए।
- अविनाश सैनी।