माज़ी, मुस्तक़्बिल और ईधी का झूला (असलम ख़्वाजा) :
लेखक असलम ख़्वाजा के कॉलम पाकिस्तान के अख़बारों में छपते रहे हैं जिन में वे ख़ुद को ‘आवारागर्द’ कहते हुए अपनी बात रखते हैं। उन की इजाज़त से उन के इस लेख को ज़रूरत के मुताबिक़ थोड़ी-बहुत सम्पादकीय छूट लेते हुए उर्दू से देवनागरी में लिप्यन्तरित कर के ‘सारी दुनिया’ में छापा जा रहा है। इस बार अन्य बातों के अलावा अब्दुल सत्तार ईधी के काम की एक झलक, जिन्हें पाकिस्तान में वही रुतबा हासिल है जो भारत में मदर टेरेसा को और पिंगलवाड़ा (अमृतसर) के भगत पूरन सिंह को प्राप्त है। मूल उर्दू से लिप्यन्तरण : रमणीक मोहन
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लाहौर, क़सूर और भिटाई की नगरी हर तान है दीपक (असलम ख़्वाजा)बिना नक़्शों का इक सफ़र – सलमान रशीदOpen BookSarhad Paar Se 6Sarhad Paar Se 7