हरियाणा सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को केवल मासिक आधार पर ट्यूशन फीस लेने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि प्राइवेट स्कूल फार्म vi में दर्शाई गई ट्यूशन फीस के अलावा किसी भी प्रकार की कोई फीस नहीं ले सकते। यदि कोई अभिभावक अप्रैल और मई की फीस भरने में असमर्थ हो तो उससे यह फीस अगले 3 महीनों के दौरान किश्तों में ली जाए।
एक जून को स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जी पत्र के अनुसार निजी स्कूल न तो मासिक ट्यूशन फीस बढ़ा सकते हैं और न ही मासिक फीस के साथ किसी भी तरह का अघोषित शुल्क ले सकते हैं। अगले सरकारी आदेशों तक स्कूल प्रशासन बिल्डिंग एंड मेंटेनेंस फीस, एडमिशन फीस, कंप्यूटर फीस समेत किसी भी अन्य प्रकार की फीस की मांग नहीं कर सकते। साथ ही, वे लॉकडाउन की अवधि का ट्रांसपोर्टेशन चार्ज भी नहीं ले सकते।
पत्र में स्पष्ट किया गया है कि स्कूल यूनिफॉर्म, पाठ्य-पुस्तकें, कार्यपुस्तिकाएं, अभ्यास पुस्तकें, प्रैक्टिकल फाइलों की कीमतों में कोई बदलाव नहीं कर सकते। इसके अलावा, ये सारी चीजें स्कूल से ही लेने का दबाव बनाना भी नियमों की अवहेलना माना जाएगा। विभाग ने कहा है कि निजी स्कूल न तो फीस नहीं देने पर किसी बच्चे का नाम काट पाएंगे और न ही ऑनलाइन क्लास के लिए बच्चे को मना करेंगे।
सरकार का कहना है कि 31 मई को अभिभावक एकता मंच ने ‘फी एण्ड फण्ड रेगुलेटरी कमेटी, रोहतक’ को शिकायत की है कि कुछ स्कूल ट्यूशन फीस के अतिरिक्त फीस देने का दबाव बना रहे हैं। इसी संदर्भ में एक जून को आदेश पारित किए गए हैं कि सभी स्कूल 23 अप्रैल और 22 मई को सरकार द्वारा जारी जारी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करें।