फिल्म अभिनेता सोनू सूद कोरोना काल का सबसे चर्चित चेहरा बनकर उभरे हैं। महामारी के दौरान जहां सरकारों के प्रयास कम पड़ गए और उन्होंने लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया, वहीं हजारों साधारण लोगों ने अपनी सीमित क्षमताओं के बावजूद पीड़ितों की तरफ मदद के हाथ बढ़ाए। ऐसे ही समय में, मजदूरों के दम पर हिट होने और करोड़ों की कमाई करने वाले दूसरे फिल्म स्टारों से अलग सोनू सूद बेबस मजदूरों के आंसू पोंछने के लिए सड़क पर उतर आए। उन्होंने वह काम कर दिखाया जो नीति और नियत में खोट के चलते सरकारें नहीं कर पाई। उन्होंने उन मजदूररों को मान-सम्मान और भोजन-पानी के साथ सुरक्षित घर तक पहुंचाया, जिन्हें शासन-प्रशासन ने भूखे मरने के लिए छोड़ दिया था।
सोनू ने अपने पैतृक राज्य पंजाब के डॉक्टरों को पीपीई किट उपलब्ध कराई, जुहू स्थित अपना होटल कोरोना महामारी में ड्यूटी निभा रहे डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को समर्पित कर दिया। इसके साथ ही वे मुंबई में रह रहे प्रवासी मजदूरों की मदद में जुट गए। अब तक करीब 20 हजार मजदूरों, विद्यार्थियों और अन्य जरूरतमंदों को बसों, ट्रेन और हवाई जहाज तक से उनके घर पहुंचा चुके सोनू कहते हैं कि जब तक एक-एक प्रवासी भाई अपने घर नहीं पहुंच जाता, तब तक उनकी ओर से चल रहा अभियान जारी रहेगा।
गौरतलब है कि अभी, 3 जून को सोनू ने यूपी और बिहार के 1000 से ज्यादा मजदूरों को ट्रेन से उनके घर रवाना किया है, जिन्हें छोड़ने वे खुद रेलवे स्टेशन तक पहुंचे। सोनू रात 2 बजे ठाणे स्टेशन पर पहुंचे और मास्क, सैनिटाईजर तथा खाना देकर यात्रियों को रवाना किया। प्रवासियों के साथ साथ शायद मुम्बईवासियों और वहां की अर्थव्यवस्था की चिंता भी सोनू के जहन में बराबर रहती है। तभी तो उन्होंने हर बार की तरह जाने वालों से यहां भी वही सवाल पूछा- वापस तो आओगे न! सोनू ने इस स्पेशल ट्रेन को ग्रीन सिग्नल देकर रवाना किया। स्टेशन पर मौजूद छात्रों, मजदूरों और अन्य यात्रियों सहित रेलवे स्टाफ ने भी तालियां बजाकर उनका अभिवादन किया।
इससे पहले वे हजारों मजदूरों और प्रवासियों को बसों से उनके घर पहुंचा चुके हैं और केरल में फंसी 177 लड़कियों को एयरलिफ्ट करवा चुके हैं। कोई मुसीबत में अकेला न रहे, इसके लिए सोनू ने टोल फ्री और वॉट्सऐप नंबर जारी कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच बनाई। यह उनकी ईमानदार कोशिशों को मिली कामयाबी का ही असर है कि केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा नेता भी प्रवासियों को घर पहुंचाने की गुहार सोनू सूद से ही लगा रहे हैं। महाराष्ट्र के गर्वनर भगतसिंह कोशयारी भी उनसे मिलकर पूरी मदद करने का बात कह चुके हैं।
लोगों द्वारा रियल हीरो और गरीबों का मसीहा जैसे कितने ही खिताबों से नवाजे जा रहे सोनू ने साबित कर दिया है, इंसान धन-दौलत और सत्ता की ताकत से नहीं इंसानियत के प्रति अपने जज्बे के दम पर बड़ा बनता है। उन्होंने यह भी दिखा दिया कि अगर आपके अंदर कुछ कर गुजरने की हिम्मत हो, तो बड़े से बड़ा काम भी मुश्किल नहीं है। सोनू के जज्बे, गरीबों के प्रति उनकी हमदर्दी और इंसानियत में गहरे विश्वास को दिल से सलाम! सच में, आप जैसे लोगों से ही यह दुनिया सुंदर दिखती है सोनू!
रोहतक के प्रोड्यूसर की फिल्म में भी कर चुके हैं काम
बहुत कम लोग जानते हैं कि अनेक फिल्मों में दमदार भूमिका निभाने वाले सोनू सूद रोहतक के प्रोड्यूसर राकेश अंदानिया की फिल्म में भी काम कर चुके हैं। साल 2007 में सोनू ने क्रिकेट पर आधारित फिल्म ‘से सलाम इंडिया’ में काम किया था। राकेश अंदानिया इस फिल्म के को-प्रोड्यूसर थे, जबकि सुभाष कपूर ने इसका निर्देशन किया था।
‘से सलाम इंडिया’ में सोनू सूद ने एक जुझारू और ईमानदार क्रिकेट कोच की मुख्य भूमिका निभाई थी। उस समय के एक और चर्चित अभिनेता मिलिंद सोमन उनके विरुद्ध करप्ट कोच के किरदार में थे। भारत 2007 के वर्ल्ड कप में बांग्लादेश के हाथों हार कर मुख्य मुकाबले से बाहर हो गया था। इसके बाद देश में क्रिकेट खिलाड़ियों के प्रति काफी रोष था और लोग क्रिकेट का नाम तक सुनना नहीं चाहते थे। ठीक इसी दौरान रिलीज होने के कारण यह फिल्म भी लोगों की भावनाओं का शिकार हो गई और समीक्षकों की सराहना के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं कर पाई।
आपको बता दें कि इस फिल्म के लेखक और निर्देशक सुभाष कपूर आज इंडस्ट्री के कामयाब निर्देशकों में शामिल हैं और जौली एलएलबी सहित कई सफल फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं। ‘से सलाम इंडिया’ सुभाष कपूर द्वारा निर्देशित पहली फीचर पहली फिल्म थी।