पत्नी की जानकारी के बिना कॉल रिकॉर्ड करना निजता के अधिकार का हनन है, जिसे किसी भी सूरत में प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। बच्चे की हिरासत को लेकर दाखिल एक याचिका पर सुनवाई के दौरान पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए पंचकूला निवासी महिला ने बताया कि पति के साथ उसका वैवाहिक विवाद चल रहा है।
विवाद के दौरान पति उसकी चार साल की बेटी को लेकर चला गया। याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसा करना सीधे तौर पर उसकी बेटी को अवैध हिरासत में रखने जैसा है। उसने बताया कि बेटी किसके पास रहेगी इसको लेकर फैमिली कोर्ट में मामला विचाराधीन है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि पति उसे क्रूर साबित करने के लिए उसके फोन कॉल रिकॉर्ड करता है तथा इसे उसने सुबूत के तौर पर पेश किया है।
इस पर हैरानी जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कैसे कोई व्यक्ति किसी की निजता के अधिकार का हनन कर सकता है। जीवनसाथी के साथ फोन पर की गई बातचीत को बिना उसकी मंजूरी के रिकॉर्ड करना निजता के अधिकार के हनन का मामला बनता है। हाईकोर्ट ने रिकॉर्डिंग करके कोर्ट में इसे सबूत के तौर पर पेश करने वाले पति को जमकर फटकार लगाई।
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि बेटी की उम्र पांच वर्ष से कम होने के कारण जब तक उसकी कस्टडी को लेकर फैमिली कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता तब तक उसे उसकी मां को सौंप दिया जाए।