सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदेश के 1983 पीटीआई की नियुक्ति को रद्द करने के फैसले के बाद अब सरकार ने उनकी भर्ती के दौरान हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चैयरमेन रहे नंदलाल पुनिया व अन्य सदस्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। यह मुकदमा पीटीआई भर्ती में घोटाले की आशंका के चलते विजिलेंस ब्यूरो ने मुकद्दमा दर्ज किया है। गौरतलब है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा ने 2005 में सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर नंदलाल पुनिया को हरियाणा कर्मचारी आयोग का चैयरमैन नियुक्त किया था और उन्हीं के कार्यकाल में पीटीआई भर्ती की प्रक्रिया चली थी। पहले पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया में खामियों की ओर इशारा किया था। इसी के आधार पर विजिलेंस ब्यूरो ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के तत्कालीन चैयरमेन तथा सदस्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
बता दें कि डीएसपी शरीफ सिंह की शिकायत पर स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने पंचकूला में धारा 466, 468, 471, 193, 166 व 120 बी के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया है। एफआईआर में कहा गया है कि कर्मचारी चयन आयोग, पंचकूला ने विज्ञापन संख्या 6, दिनांक 20 जुलाई 2006 को 1983 पीटीआई की भर्ती के लिए आवेदन मांगे थे। विज्ञापन में दी गई भर्ती की शर्तों के अनुसार कुल 200 अंक की लिखित परीक्षा व 25 अंक के साक्षात्कार के आधार पर सफल अभ्यर्थियों का चयन किया जाना था। परंतु भर्ती प्रक्रिया के बीच में ही आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष व सदस्यों ने अयोग्य उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से अपने पदों का दुरूपयोग करते हुए चयन मानदंडों में बार-बार परिवर्तन किया।
एफआईआर के अनुसार, आयोग के चैयरमेन द्वारा दिनांक 30 जून 2008, 11 जुलाई 2008 तथा 31 जुलाई 2008 को मनमाने तरीके से चयन मानदंडों में फेरबदल किया गया। इन दस्तावेजों पर आयोग के किसी अन्य सदस्य के हस्ताक्षर नहीं थे। दिनांक 31 जुलाई 2008 के निर्णय के संबंध में चयन आयोग कार्यालय के टिप्पणी लेखन (ऑफिस नोट) में दिनांक 11 जुलाई 2008 को निर्धारित की गई चयन प्रक्रिया के विरुद्ध मुख्यमंत्री निवास के सामने विरोध प्रदर्शन होने का हवाला दिया गया। दिनांक 31 जुलाई 2008 के निर्णय द्वारा आयोग के अध्यक्ष ने सभी योग्य उम्मीदवारों को साक्षात्कार हेतु बुलाने का निर्णय लिया। इससे स्पष्ट है कि राज्य कर्मचारी आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष द्वारा किसी के दबाव में बार-बार चयन के मापदंडों में बदलाव किया गया।
इस जांच की लपटें निस्संदेह पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान नेता प्रतिपक्ष भूपेंदर सिंह हुड्डा तक भी पहुंच सकती हैं। सरकार उन्हें घेरने का कोई मौका नहीं चूकना चाहेगी। पीटीआई भर्ती घोटाले में एफआईआर दर्ज होने के बाद हुड्डा के लिए कानूनी परेशानियां बढ़ सकती हैं।