कई दिनों से हड़ताल पर बैठी आशा कार्यकर्ताओं ने राज्य के जिला सचिवालयों पर जमकर प्रदर्शन किया है। इस दौरान उनके प्रदर्शन में पीटीआई टीचर और सफाई कर्मचारियों सहित सर्व कर्मचारी संघ के सदस्य भी सड़क पर उतरे। अन्य कर्मचारियों व संगठनों का समर्थन मिलने पर लगातार 19 दिन से धरना प्रदर्शन कर रही आशा कार्यकर्ताओं के आंदोलन को काफी बल मिला है।
आशा कार्यकर्ताओं ने कहा है कि उन्होंने विधानसभा के घेराव की बात कही थी, लेकिन अब मुख्यमंत्री समेत कई विधायक कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। वे बहाना बना रहे हैं कि इस वजह से वे बातचीत की टेबल पर नहीं आ सकते। आशा वर्कर्स के अनुसार सरकार दबाव में है लेकिन उनकी जायज बात भी सुनने के लिए तैयार नहीं है।
बता दें कि, आशा वर्कर पिछले 7 अगस्त से अपनी मांगों को लेकर लगातार हड़ताल कर सरकार से गुहार लगा रही हैं। आशा वर्कर्स की मांग हैं कि उन्हें हेल्थ वर्कर का दर्जा देकर परमानेंट नियुक्ति दी जाए और जब तक उन्हें स्थाई कर्मचारी नहीं बनाया जाता, तब तक 24000 रु. न्यूनतम वेतन दिया जाए।
आशा वर्कर्स ने यह भी कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान ड्यूटी करते हुए संक्रमित होने पर उन्हें अस्पताल में मुफ्त इलाज मुहैया कराया जाए। आशा वर्कर के अनुसार, एक तरफ जहां सरकार डॉक्टरों को दोगुना वेतन दे रही है, वहीं उन्हें मात्र 4000 रु. में ड्यूटी देने को मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करे और पूर्व में किए गए अपने वादों को पूरा करे। आपको बता दें कि, इससे पहले भी मनोहर -1 सरकार के दौरान आशा वर्कर्स ने अपनी मांगों को लेकर लंबी लड़ाई लड़ी थी। उस समय सरकार ने उनकी अधिकतर मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था। आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनमें से कई मांग अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। इसके अलावा, कोरोना काल में उनको सौंपी गई जिम्मेदारियों के चलते पैदा हुई समस्याओं पर सरकार के रवैये को लेकर भी उनके अनेक सवाल हैं, जिन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की जरूरत है।