– आसाम और मेघालय में 5 स्थानों पर किया गधे की बारात नाटक का मंचन।– हरियाणा का पहला नाटक, जिसे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की ओर से उत्तर-पूर्व में नाट्यमंचन के लिए चुना गया।– उत्तर-पूर्व के ख्यातिप्राप्त रंगकर्मी रहे उपस्थित।– मेघालय आईसीसीआर के निदेशक ने दिया दोबारा आने का न्यौता। रोहतक। स्थानीय सांस्कृतिक संस्था ‘सप्तक’ के…
Author: अविनाश सैनी (संपादक)
ग़ज़ल
क्या पाना है, क्या खोना हैअपना-अपना ग़म ढ़ोना है। सारी दुनिया का महाभारतअपने ही भीतर होना है। गर्म हवा में तन झुलसा हैबर्फ मगर मन का कोना है। अपना दिल है शीश महल साएक अंधेरा भी कोना है। सभी कहकहों में डूबे हैंनई तरह का यह रोना है। घटनाओं की नब्ज टटोलोरहो देखते क्या होना…
सुनहरी सुबह का गीत
उस सुबह का इंतजार है मुझेजिस सुबह में सब की खातिर प्यार हो वास्ता एक दूसरे के हो गमों सेरास्ता एक दूसरे के हो दिलों सेएक सा हर शख्स से व्यवहार होउस सुबह का इंतजार है मुझे…. ज़्यादती कोई किसी पर न करेजी सके कमज़ोर भी यहां बिन डरेकर्ज़वान न कोई साहूकार होउस सुबह का…
ग़ज़ल
कदम कदम आगे बढ़ना हैसीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ना है। बाहर-भीतर कुरुक्षेत्र हैहर पल महाभारत लड़ना है। रोज़ नया धोखा मिलना हैरोज़ भरोसा भी करना है। नहीं लिखा जो कभी किसी नेहमको तो वह ख़त पढ़ना है। खुद के भीतर से ही खुद कोएक नया इंसान गढ़ना है।। – अविनाश सैनी# 9416233992
“देश मेरे आबाद रहो”
ऐ देश मेरे आबाद रहोरहती दुनिया तक शाद रहो,तुम फूलो फलो महको चहकोऔर हर दम ही आज़ाद रहोए देश मेरे आबाद रहोरहती दुनिया तक शाद रहो। की खूब तरक्की है तूनेदुनिया में ऊंचा नाम कियानित नई मंज़िलें की हासिलजो हो ना सके वह काम किया।दिए इतने हीरे इस जग कोजिनका कोई पारावार नहींना ऐसा क्षेत्र…
मेरे गांव की माटी
वह मेरे गांव की माटी, भुला दूं किस तरह आख़िर,वह बूढ़े बाप की लाठी, भुला दूं किस तरह आखिर। जहां पर माफ हो जाती थी, मेरी गलतियां सारी,वह मां, वह प्यारी सी दादी, भुला दूं किस तरह आखिर। अभी भी याद आएं गांव की गलियां वो कच्ची सी,वहां बिछड़े हुए साथी, भुला दूं किस तरह…
कला परिषद निदेशक की हठधर्मिता से हरियाणा सरकार की हुई किरकिरी
– निदेशक संजय भसीन ने किया 24 कलाकारों को ब्लैक लिस्ट। – उत्तर क्षेत्र व उत्तर-मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्रों को पत्र लिखकर इन्हें काम न देने की सिफारिश की। – मुख्यमंत्री का नाम लेकर किया उन्हीं कलाकारों को ब्लैक लिस्ट, जिन्हें खुद मुख्यमंत्री कर चुके हैं सम्मानित। – देश में ऐसा पहली बार हुआ है…
घर फूँक थियेटर फेस्टिवल : ठंड और बरसात के बावजूद दर्शकों में दिखा उत्साह, “मौत क्यूं रात भर आती नहीं” नाटक की हुई प्रस्तुति
– दिल्ली के ‘भव्य कल्चरल सोसाइटी’ के कलाकारों ने दिखाया नाटक।– कई नए प्रयोग किये गए नाटक में।– नाटक के 2 अंत दिखाए।– दिखाया कि आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं। रोहतक, 27 दिसंबर। ‘सप्तक रंगमंडल, पठानिया वर्ल्ड कैंपस, सोसर्ग और अभिनव टोली द्वारा आयोजित घरफूंक थियेटर फेस्टिवल में इस बार प्रताप सहगल के नाटक…
सोचने की आजादी वैज्ञानिक मानसिकता है और वैज्ञानिक मानसिकता से ही आजादी की सोच पैदा होती है : गौहर रज़ा
– वैज्ञानिक मानसिकता और सामाजिक न्याय पर कार्यशाला आयोजित।– आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुआ कार्यशाला का आयोजन।– जीवन में वैज्ञानिक मानसिकता की ज़रूरत और इसके प्रभाव सहित विभिन्न पक्षों पर गौहर रज़ा व वेदप्रिय ने रखी बात। रोहतक, 25 दिसम्बर। “सोचने की आजादी वैज्ञानिक मानसिकता है और वैज्ञानिक मानसिकता से ही आजादी…
घर फूँक थियेटर फेस्टिवल में नाटक बीवियों का मदरसा का हुआ मंचन – नाटक ने धर्म और परंपराओं के नाम पर औरत को अपने आधीन रखने की पुरुषवादी सोच का नमूना किया पेश– दुनिया के प्रसिद्ध नाटककार मोलियार की रचना को उतारा मंच पर– तमाम बाधाओं के बावजूद इश्क चढ़ा परवान– हास्य और व्यंग्य के…