फीस को लेकर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने और पूरी व्यवस्था को पारदर्शी करने को लेकर हरियाणा सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला किया है। सरकार ने प्राइवेट स्कूलों के कैश में फीस लेने पर रोक लगा दी है। इसके अलावा, प्राइवेट स्कूल सालाना 10% से अधिक फीस नहीं बढ़ा सकेंगे।
⚫ 2022-23 के शैक्षणिक सत्र से नियमों के तहत चलने होंगे स्कूल
⚫ कहीं से भी स्टेशनरी आदि खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा
⚫ 3 बार गड़बड़ करने पर मान्यता रद्द : 3 बार से अधिक दोषी पाए जाने पर रद्द हो सकती है स्कूल की मान्यता
रोहतक। हरियाणा सरकार ने 2022-23 के शैक्षणिक सत्र से प्राइवेट स्कूलों के नकद फीस लेने पर रोक लगा दी है। स्कूलों को चेक या ऑनलाइन माध्यम से ही फीस जमा करवानी होगी। स्कूल 5 साल से पहले यूनिफॉर्म भी नहीं बदल सकेंगे। स्कूल या किसी खास स्थान से स्टेशनरी आदि खरीदने के लिए भी मजबूर नहीं किया जाएगा। इसके बाद भी अगर कोई स्कूल 3 बार से अधिक दोषी पाया जाता है तो उसकी मान्यता को रद्द किया जा सकता है।
● स्कूल 10.13% से अधिक फीस नहीं बढ़ा सकते
फीस वृद्धि कानून को लेकर शिक्षा निदेशालय ने जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर दिया है। इससे पहले जारी आदेशों में कहा गया था कि कोई भी निजी स्कूल 10.13% से अधिक फीस नहीं बढ़ा सकते। प्रदेश के सभी निजी स्कूलों को अब इन आदेशों के तहत ही कार्य करना होगा। गौरतलब है कि, कई शैक्षणिक संस्थान छात्रों की फीस कैश में लेते है जबकि कागजों में फीस कुछ और ही दर्शाई जाती है। परंतु नए नियमों के तहत स्कूलों को फीस जमा करने की प्रक्रिया को खुला और पारदर्शी रखना होगा।
● बोर्ड परीक्षाओं के लिए ही केवल एग्जाम फीस ली जाएगी
छात्रों से फीस डीडी, एनईएफटी, चेक, आरटीजीएस या अन्य किसी डिजिटल माध्यम से ली जाएगी। इसके साथ ही कोई भी स्कूल छहमाई या वार्षिक आधार पर फीस नहीं लेगा। केवल पहली, छठी, 9वीं और 11वीं कक्षा में दाखिले के समय पर भुगतान योग्य दाखिला फीस ली जा सकेगी। स्कूलों को स्पष्ट किया गया है कि केवल बोर्ड परीक्षाओं के लिए ही एग्जाम फीस ली जाएगी।
• हरियाणा शिक्षा संस्थान संगठन ने फैसले को सराहा
कई स्कूल अन्य कक्षाओं के लिए भी एग्जाम फीस का प्रावधान रखते हैं, इसलिए किसी भी मान्यता प्राप्त स्कूल द्वारा किसी भी छात्र को वार्षिक परीक्षाओं या अन्य परीक्षाओं के लिए फीस के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। हरियाणा शिक्षा संस्थान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष यशपाल यादव ने कहा कि यह फैसला अच्छा है।