- बुद्धि का विकास मानव अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
- मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे की सीख दे।
- मैं किसी समुदाय की प्रगति को इस बात से मापता हूं कि उस समुदाय की महिलाओं ने कितनी तरक्की की है।
- जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता हासिल नहीं कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देगा, वह आपके किसी काम की नहीं है।
- आज भारतीय दो अलग-अलग विचारधाराओं से शासित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श (जो संविधान की प्रस्तावना में इंगित हैं) तो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे को स्थापित करते हैं, लेकिन उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।
- हमारे पास यह स्वतंत्रता इसलिए है, ताकि हम अपनी सामाजिक व्यवस्था को सुधार सकें, जो असमानता, भेद-भाव और ऐसी अनेक चीजों से भरी पड़ी है, जो हमारे मौलिक अधिकारों से टकराव में हैं।
- यदि हम एक अखंड, समन्वित और आधुनिक भारत चाहते हैं, तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता का अंत करना होगा।
- एक सफल क्रांति के लिए सिर्फ असंतोष का होना काफी नहीं है। इसके लिए न्याय एवं राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों में गहरी आस्था का होना भी बेहद जरूरी है।
- हर व्यक्ति जो यह मानता है कि एक देश दूसरे देश पर शासन नहीं कर सकता (मिल का सिद्धांत), उसे यह भी मानना होगा कि एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शासन नहीं कर सकता।
- जीवन लम्बा होने की बजाए बड़ा और महान होना चाहिए।
- एक महान व्यक्ति किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति से इसलिए अलग होता है, कि वह समाज का सेवक बनने को तैयार रहता है।
- लोगों और उनके धर्म को सामाजिक मानकों द्वारा सामाजिक नैतिकता के आधार पर परखा जाना चाहिए। यदि धर्म को लोगों के भले के लिए आवश्यक मान लेंगे, तो और किसी मानक का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा।
- इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है, वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है। लोगों ने निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा है, जब तक उन्हें मजबूर करने के लिए पर्याप्त ताकत नहीं लगाई गई हो।
- राजनीतिक अत्याचार सामाजिक अत्याचार की तुलना में कुछ भी नहीं है। इसलिए समाज को खारिज कर देने वाला एक सुधारक, सरकार को नकारने वाले राजनीतिज्ञ से कहीं अधिक साहसी होता है।
- राजनीति में हिस्सा न लेने का सबसे बड़ा दंड यह है कि अयोग्य लोग आप पर शासन करने लगते हैं।
- समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे शासन के एक सिद्धांत के रूप में स्वीकार करना आवश्यक है।
- शिक्षा जितनी पुरुषों के लिए आवश्यक है, उतनी ही महिलाओं के लिए भी जरूरी है।
- संविधान केवल वकीलों का दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का एक माध्यम है।
- भाग्य पर भरोसा करने की बजाय अपनी ताकत और अपने कर्म पर भरोसा करना चाहिए।
- शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो!
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