इस लॉकडाउन के दौरान कोकोनट थिएटर ने ticketninja.in के सहयोग से २६ अप्रैल २०२० को ‘चाय-वाय एंड रंगमंच – २०२०’ की शुरुआत, जहाँ भारत और विभिन्न देशों के थिएटर दिग्गजों के साथ १०८ ऑनलाइन लाइव सेशंस की मेजबानी की। उन्होंने थिएटर के सभी पहलुओं को सम्मिलित करके आधुनिक थिएटर के बारे में अपने अनुभव और विवरण साझा किए।
सुपरस्टार शत्रुघ्न सिन्हा, द शो मैन सुभाष घाई, पद्म भूषण और ५ बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता श्रीमती शबाना आज़मी और उत्कृष्ट् अभिनेत्री श्रीमती सुप्रिया पाठक ने भी “चाय-वाय एंड रंगमंच – २०२०” सीज़न -१ में अपने सेशंस किए।
बहुतांश वक्ताओंको पद्म श्री, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, अन्य भारतीय और अंतरााष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इन सेशंस को दुनिया भर में लाखों थिएटर के उत्साही लोगों द्वारा देखा और सराहा गया है।
सीज़न-१ के बाद, दशाकों के उत्साह और आग्रह के कारण कोकोनट थिएटर ने लाइव सेशंस जारी रखने का फैसला किया और “चाय-वाई एंड रंगमंच – २०२०” के सीज़न -२, लोक कला के संग’ की घोषणा की, जो पारंपरिक भारतीय लोक कला रंगमंच पर आधारित है। यह पारंपरिक लोक कला को दुनिया भर में दशाकों तक पहुंचाने के लए एक छोटी सी पहल है। भारत के विभिन्न हिस्सों से विभिन्न लोक रंगमंच से जुडे विशेषज्ञ कोकोनट थिएटर के अधिकृत फेसबुक पेज पर लाइव सेशन करेंगे और अपने अनुभव, लोक कला का इतिहास और हमारे समाज के लिए भारतीय लोक कला रंगमंच के महत्व को साझा करेंगे।
लोककला रंगमंच एक समग्र कला रूप है जो मूल संस्कृति में संगीत, नृत्य, धर्म और त्योहारों के तत्वों का एक स्थानीय संयोजन और समाजिक मूल्यों में अन्तर्निहित है। समाज में जागरूकता निर्माण कर के उन्हें समृद्ध भारतीय पारंपरिक संस्कृति दर्शन और कला के वास्तविक रूप से उन्हें अवगत कराने के लिए नाट्य संदेशों के रूप में महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक मुद्दों का प्रचार करने के लए इन कला रूपों का भारत में कथा और प्रदशान के माध्यम से प्रचार किया गया है।
इस सीज़न की श्रृंखला में विभिन्न राज्यों के क्षेत्रीय लोक कला जैसे जम्मू और कश्मीर से ‘भांड पाथेर’, उत्तरप्रदेश से ‘नौटंकी, राजस्थान से ‘गवरी’, केरला से ‘कुडियाट्टम और कथकली’, बिहार से ‘बिदेसिया और लौंडा नाच’, आसाम से ‘अकिया नात’, कनााटक से ‘यक्षगनां’, महाराष्ट्र से ‘तमाशा’, गुजरात से ‘भवाई’, मध्यप्रदेश से ‘माच’, उडीसा से ‘छाऊ’, गोवा से ‘दशावतार’, छत्तीसगढ़ से ‘नाच’, पश्चिम बंगाल से ‘जात्रा’, मणिपुर से ‘शुमंग लीला’, पंजाब से ‘नक्वाल’, हरियाणा से ‘सांग’, उत्तराखंड से ‘रम्माण’, तमिलनाडु से ‘थेरुकुथु’, आंध्र प्रदेश से ‘विधि नाटकम’, हिमाचल प्रदेश से ‘करियाला’ और कई लोक कला रूप के सेशंस किए जाएंगे ।