सुकून देने वाली बात है कि कोरोना वायरस के मरीजों पर ‘काफी असरदार’ साबित हुई दवा रेमडेसिविर (Remdesivir) का प्रयोग अब भारत में भी हो सकेगा। अमेरिका में रेमडेसिविर के बेहतर नतीजों को देखते हुए सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने आपातकाल में इस दवा के इस्तेमाल की इजाजत दे दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि रेमडेसिविर उन्हीं कोरोना संक्रमित मरीजों को दी जानी चाहिए, जिन्हें ऑक्सीजन पर रखने की जरूरत हो।
केवल पांच दिन दे सकेंगे यह दवा
सामान्यतः रेमडेसिविर दवा मरीजों को 10 दिन के लिए दी जाती है, मगर भारत में इसके इस्तेमाल के समय को सीमित कर दिया गया है। सीडीएससीओ ने इसे कोरोना के सस्पेक्टेड या कन्फर्म मरीजों को केवल पांच दिन ही देने की अनुमति दी है, वह भी इमेरजेंसी में। यही नहीं, भारत में इसे इंजेक्शन के रूप में प्रयोग करने की ही अनुमति मिली है। यह इंजेक्शन भी केवल डॉक्टर की सलाह पर ही मिलेगा और अस्पताल या इंस्टीट्यूशनल सेटअप में ही इसका प्रयोग होगा।
ठीक होने की गति को बढ़ा देती है
इस दवा की खासियत यह है कि यह मरीज के ठीक होने की गति को बढ़ा देती है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिजीजेज (एनआईएआईडी) की ओर से करवाए गए ट्रायल में रेमडेसिविर के अच्छे नतीजे आए हैं। द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के अनुसार, कोरोना के मरीजों के इलाज में रेमडेसिविर का 10 दिन का कोर्स प्लेसीबो से कहीं ज्यादा असरदार साबित हुआ है। दोनों तरीकों से इलाज के बाद ठीक होने में लगने वाला समय रेमडेसिविर में कम था। हालांकि आंकड़े बताते हैं कि अकेले इस दवा से कोरोना का इलाज सम्भव नहीं है। शोधकर्ताओं का मानना है कि डॉक्टरों को अलग-अलग दवाओं के साथ मिलाकर इसका प्रयोग करना चाहिए।
शोधकर्ताओं के अनुसार, 14 दिन के आधार पर, प्लेसीबो ट्रीटमेंट में मृत्युदर 11.9 फीसदी और रेमडेसिविर देने पर मृत्युदर 7.1% रही है। हालांकि 7.1% की दर भी बहुत ज्यादा होती है, जिसे लेकर शोधकर्ता चिंता जता चुके हैं।
चार दिन में मिल गई अनुमति
कोरोना मरीजों की दिन-पर-दिन बढ़ती संख्या को देखते हुए भारत में रेमडेसिविर को इस्तेमाल करने की अनुमति केवल 4 दिन में ही मिल गई। सामान्य परिस्थितियों में हमारे यहां किसी दवा के क्लिनिकल ट्रायल की इजाजत देने में काफी लंबी प्रक्रिया अपने जाती है। लेकिन हालात को देखते हुए इस दवा के मामले में इजाजत देने की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार इसके लिए ‘न्यू ड्रग एंड क्लिनिकल ट्रायल रूल्स, 2019’ के स्पेशल प्रावधान का इस्तेमाल किया गया। रेमडेसिविर मुंबई की क्लिनेरा ग्लोबल सर्विसिज द्वारा आयात की जाएगी।
इबोला, मर्स और सार्स में भी रही है असरदार
आपको बता दें कि बायोफार्मास्युटिकल कंपनी गिलियड साइंसेज द्वारा विकसित रेमडेसिविर एक व्यापक स्पेक्ट्रम एंटीवायरल दवा है। इससे पहले इसका प्रयोग इबोला वायरस में भी किया गया था। मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (मर्स) और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) में तो यह इबोला से भी अधिक प्रभावी रही। गौरतलब है कि मर्स और सार्स भी कोरोना परिवार से ही जुड़ी बीमारियां हैं। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने मई में ही कोरोना के गम्भीर मरीजों पर इमेरजेंसी की स्थिति में रेमडेसिविर के प्रयोग की अनुमति दी थी। अभी रेमेडिसविर का परीक्षण कोविड-19 के विशिष्ट उपचार के रूप में किया जा रहा है। इसे अमेरिका में इमेरजेंसी में तथा जापान में अति गंभीर रोगियों के लिए ही इस्तेमाल करने की इजाजत है।