कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया पर अपना कब्जा कर लिया है। इस वायरस के आगे दुनिया की बड़ी-बड़ी ताकतें भी असहाय नजर आ रही हैं। हालांकि अभी तक वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन बनाने में कामयाब नहीं हुए हैं, फिर भी डॉक्टर लक्षणों के आधार पर पहले से खोजी जा चुकी दवाइयों से मरीजों का इलाज कर रहे हैं। कहीं प्लाज्मा थेरेपी अपनाई जा रही है तो कहीं, एचआईवी या मलेरिया की दवाई से लोगों की जान बचाई जा रही है। इसी कड़ी में कोरोना संक्रमण से शरीर में ख़ूनबक थक्के, यानी क्लॉट्स जमने का पता चलते ही चिकित्सकों ने खून पतला करने वाली दवा देनी शुरू की है और काफी लोगों की जान बचाने में सफल रहे हैं। खून के थक्के जमने का शुरुआती खुलासा वुहान में मरने वालों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ था।
प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेंट’ में प्रकाशित चीनी वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार, मौत के बाद कोरोना मरीजों के फेफड़े, दिमाग और दिल में रक्त के थक्के (क्लॉट) मिले थे। इटली के मृत रोगियों में भी रक्त के थक्के दिखाई दिए। रिपोर्ट के अनुसार मरीज के दिल, दिमाग और फेफड़ों में संक्रमण से रक्त के थक्के बन सकते हैं।
अब एक अध्ययन से पता चला है कि खून को पतला करने वाली दवाई कोरोना मरीजों के इलाज में काफी कारगर साबित हुई है। लोगों को ठीक करने के लिए अब बहुत सारे डॉक्टर खून को पतला करने वाली दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। जर्नल ऑफ अमेरिकल कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक रिपोर्ट में डॉ. वैलेंटीन फस्टर ने बताया है कि कोरोना के गंभीर मरीजों के शरीर में खून के थक्के बन जाते हैं। यह जानलेवा साबित होता है। इसलिए उन्हें खून पतला करने की दवाएं दी गईं। इस प्रयोग के काफी सकारात्मक नतीजे सामने आए। अब इसका बड़े पैमाने पर प्रयोग हो रहा है। इससे लगभग आधे मरीजों की जान बचाई जा रही है।
आपको बता दें कि भारतीय अस्पतालों में भी मरीजों को रक्त पतला करने की दवा दी जा रही है, ताकि थक्का जमने से स्ट्रोक या हार्ट अटैक से बचाया जा सके। प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली एम्स ने प्रोटोकॉल बदलते हुए रक्त पतला करने की दवाएं देने के निर्देश दिए हैं। मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद व चेन्नई जैसे महानगरों के अस्पतालों में भी यह तरीका अपनाया जा रहा है।
दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में 241 कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हैं। इनमें से 13 मरीज ऐसे हैं जिनकी हालत गंभीर बनी हुई है। इनमें से छह मरीजों पर प्लाज्मा ट्रायल चल रहा है। जबकि तीन मरीज ऐसे हैं जिनमें खून के थक्के देखने को मिले हैं। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार मरीजों को रक्त पतला होने की दवा दी जा रही है।
मुंबई में भी संक्रमित मरीजों में परेशानी दिखी
एम्स के एक वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ के मुताबिक, एम्स के ट्रामा और झज्जर स्थित राष्ट्रीय कैंसर संस्थान में मरीजों का उपचार चल रहा है और जरूरत पड़ने पर ऐसी दवा दी जा रही हैं। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल के डॉ. यतीन मेहता का कहना है कि उनके यहां मरीजों को प्रोटोकॉल के तहत ऐसी दवाएं दे रहे हैं। मुंबई स्थित सेवन हिल्स अस्पताल के डॉ. महेश का कहना है कि कुछ मरीजों में खून के थक्के जमने की परेशानी देखने को मिली है। कोविड-19 पर अभी तक के अध्ययन के आधार पर मरीजों को दवाएं दी जा रही हैं।