यूपी के पंचायत चुनाव में अपनी ड्यूटी निभाते हुए कोरोना संक्रमण के कारण 2000 से ज्यादा लोगों के मरने की बात सामने आई है। चुनाव में 8 लाख पदों के लिए लगभग 13 लाख उम्मीदवार मैदान में थे, जबकि 12 लाख के करीब अधिकारी-कर्मचारी व चार लाख सुरक्षाकर्मी चुनाव ड्यूटी निभा थे। कर्मचारी व शिक्षक संघों का आरोप है कि 25 मार्च से 3 मई तक चले चुनाव में 2000 से अधिक कर्मचारियों व शिक्षकों की जान संक्रमण की चपेट में आने से गई है। यदि इस संख्या में उनसे संपर्क में आकर मरने वाले परिवार के सदस्यों को भी शामिल कर दें, तो दिल दहलाने वाले आंकड़े सामने आएंगे। इसके बावजूद न सरकार ने और न ही चुनाव आयोग ने इनका कोई संज्ञान नहीं लिया है।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ व शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष डॉक्टर दिनेश चंद्र शर्मा के मुताबिक, प्रदेश सरकार ने ऐसे नियम बना रखे हैं कि ड्यूटी के दौरान कोरोनावायरस की वजह से होने वाली मौतों को रिकॉर्ड पर ला ही नहीं सकते। उन्होंने कहा कि वे अपने साथियों के परिवार को न्याय दिलाने के लिए आवाज उठाते रहेंगे। दूसरी ओर, यूपी के एडीजी (लॉ एंड आर्डर) प्रशांत कुमार की ने कहा है कि अब तक 137 पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमण के चलते शहीद हो चुके हैं। इनके अलावा 4117 पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव हैं।
हाई कोर्ट भीलगाचुकाहैफटकार
बता दें कि चुनाव ड्यूटी के दौरान शिक्षकों की मौत का मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी उठ चुका है। एक अखबार में छपी खबर के आधार पर शिक्षकों की मौत का संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने तो यहां तक कह दिया कि पंचायत चुनाव के दौरान कोविड प्रोटोकॉल्स लागू नहीं करवाने पर आयोग और उस के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए?
हाईकोर्ट ने बेहद ही सख्त लहजे में कहा, “2020 के आखिर में जब वायरस कमजोर हुआ था, तब सरकार पंचायत चुनाव कराने में व्यस्त हो गई थी। अगर उसने लगातार संक्रमण रोकने के लिए काम किया होता, तो आज सरकार दूसरी लहर का सामना करने के लिए तैयार रहती। अगर हम अब भी लोगों के स्वास्थ्य की परेशानियों को नजरअंदाज करेंगे और उन्हें मरने के लिए छोड़ देंगे, तो आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी।”
गौरतलब है कि चुनाव के प्रथम चरण के प्रशिक्षण के साथ ही हजारों शिक्षक, शिक्षामित्र व अनुदेशक कोरोना से संक्रमित होने लगे थे। सूबे में जहां-जहां चुनाव हुए वहां-वहां कोरोना संक्रमण के मामले कई गुना बढ़ते गए। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से संक्रमित हुए लोगों का निशुल्क इलाज व मृतकों के परिजनों को 50 लाख की सहायता व अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग की है।