सारी दुनिया। उप्र में पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना से 1,621 शिक्षाकर्मियों की मौत हुई है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने इसकी लिस्ट जारी की है। मुख्यमंत्री को यह लिस्ट भेजते हुए शिक्षक संघ ने इन सभी शिक्षकों, शिक्षा मित्रों, अनुदेशकों व अन्य कर्मचारियों को एक करोड़ की आर्थिक सहायता देने की मांग की है। संघ ने मृतकों के परिजनों को नौकरी देने सहित सात अन्य मांगें की रखी हैं।
लिस्ट में शिक्षक संघ ने जान गंवाने वाले शिक्षकों के नाम, उनके विद्यालय के नाम, पदनाम, ब्लॉक व जनपद का नाम, मृत्यु की तिथि और दिवंगत शिक्षक के परिजन का मोबाइल नंबर भी दिया है। इस लिस्ट के अनुसार सबसे अधिक 68 शिक्षकों-कर्मचारियों की मृत्यु आजमगढ़ जिले में हुई है। गोरखपुर में 50, लखीमपुर में 47, रायबरेली में 53, जौनपुर में 43, इलाहाबाद में 46, लखनऊ में 35, सीतापुर में 39, उन्नाव में 34, गाजीपुर में 36 तथा बाराबंकी में 34 शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत हुई है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चन्द्र शर्मा के मुताबिक, हाईकोर्ट ने भी माना है कि इन शिक्षकों और कर्मचारियों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए। इनके परिवार में जो आश्रित डीएलएड या बीएड की योग्यता रखता है, उसे टीईटी से छूट देते हुए शिक्षक के पद पर तुरंत नियुक्ति दी जाए। बाकियों को क्लर्क के पद पर नियुक्ति दी जाए।
दिनेश चंद्र ने दावा किया कि दिल से संबंधित बीमारियों से पीड़ित कई शिक्षकों और कर्मचारियों की मृत्यु “तनाव” और “दिल के दौरे” के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा पंचायत चुनावों के दौरान मतगणना केंद्रों पर कोरोनावायरस सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया। उन्होंने कहा, ‘चिंता की बात यह है कि इतनी जान गंवाने के बाद भी विभिन्न जिलों में प्रशासनिक अधिकारी शिक्षकों को परेशान कर रहे हैं। बुनियादी शिक्षा विभाग के शिक्षकों और कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति है, लेकिन रायबरेली, उन्नाव, बांदा, लखनऊ, बस्ती और हरदोई आदि कई जिलों में, उन्हें कोविड-19 नियंत्रण कक्ष में ड्यूटी दी गई है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षकों और शिक्षा मित्रों सहित प्रत्येक मतदान अधिकारी के परिवार को 30 लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा की थी। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 11 मई को सरकार से कहा था कि वह इस राशि को बढ़ाकर एक करोड़ रुपए करने पर विचार करे।