हम में से बहुत से लोग बात-बात पर पाकिस्तान से अपनी तुलना करने लगते हैं, हालांकि इसका कोई उचित कारण दिखाई नहीं देता। भारत दुनिया की पांचवें नम्बर की अर्थव्यवस्था है और पाकिस्तान का स्थान काफी पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्थाओं में आता है। फिर भी किसी न किसी बहाने तुलना तो हो ही जाती है। वैसे, कुछ मामलों में हम एक जैसे ही हैं। मसलन, अमीरों और गरीबों में भेदभाव करने में हमारा कड़ा कंपटीशन है।
एक जानकारी के अनुसार लंदन में फंसे पाकिस्तान के 150 प्रभावशाली परिवारों को विशेष विमान से इस्लामाबाद लाया गया है। इन खास लोगों में एक मंत्री का परिवार और अन्य अमीर लोग थे जिनकी पहुंच ऊपर तक थी। इनके अलावा भी लगभग 400 लोगों के लंदन में फंसे होने की बात की जा रही है, जिनके पास वापस लौटने का कोई जरिया नहीं है। लेकिन जहाज में सीट खाली होने के बावजूद उन्हें लाने की जहमत सरकार ने नहीं उठाई। कारण बताया गया कि एरोप्लेन में सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करने की दृष्टि से उन्हें लाना संभव नहीं था।
वापस लाए गए लोगों में केवल वही शामिल थे जिनकी पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय या एयरलाइंस के हेड ऑफिस द्वारा सिफारिश की गई थी। जिनकी सिफारिश नहीं थी, उन्हें लाने की कोई योजना सरकार ने नहीं बनाई।
इधर, भारत में भी भूखे-प्यासे, गरीब प्रवासी मजदूर घोर अमानवीय स्थिति में जी रहे हैं और कमोवेश बंधक की स्थिति में हैं। रोटी मांगने पर लाठी मिलती है और विरोध करने पर केस बनाए जा रहे हैं। बांद्रा और सूरत के उदाहरण हमारे सामने हैं। दूसरी ओर, हाल ही में तीर्थ यात्रा पर वाराणसी आए एक हजार के करीब यात्रियों को लॉक डाउन के बावजूद राशन-पानी सहित बसों में बैठाकर बाइज्जत गुजरात और दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में भिजवाया गया। यह बात अलग है कि वाराणसी में भी उनकी बेहतर देखभाल हो रही थी, लेकिन क्योंकि वे अच्छे खाते-पीते परिवारों के लोग थे और उनकी पहुंच ऊपर तक थी, इसलिए सांसदों के दबाव में सारे नियम-कायदे-कानून ताक पर रखकर उन्हें उनके घरों तक पहुंचाया गया। इसी तरह लोकसभा अध्यक्ष की सिफारिश पर राजस्थान के कोटा में इंजीनियरिंग, एमबीए, एमबीबीएस और आईएएस की तैयारी कर रहे अमीरजादों को भी विशेष परमिट जारी कर उनके गृह राज्यों (विशेष रूप से उत्तर प्रदेश) में पहुंचाया गया, जबकि वहां का प्रशासन अपने मजदूरों को वापस बुलाने में असमर्थता जाहिर करता रहा है। यही नहीं, इससे पूर्व भी गुजरात के 1800 पर्यटकों को गृह मंत्री अमित शाह की सिफारिश पर विशेष बसों में हरिद्वार-ऋषिकेश से गुजरात पहुंचाने की व्यवस्था की गई थी।
इसके अलावा पाकिस्तान से यह खबर भी आई कि वहां हिंदू और ईसाई अल्पसंख्यकों को राशन देने में भेदभाव बरता जा रहा है। निस्संदेह, हमारे यहां ज्यादातर सरकारों ने धर्म के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं किया है। लेकिन यहां भी बहुत से स्थानों पर आम लोगों द्वारा धर्म के नाम पर नफरत फैलाने तथा गालीगलौज और मारपीट करने की घटनाएं सामने आ रही हैं।
यानी, गरीबों और कमजोरों के साथ भेदभाव में भारत-पाकिस्तान कमोवेश एक तरह सोचते हैं। चलो, कहीं तो हम बराबरी पर हैं।