जल्दबाजी में सब कुछ खोल देने से बढ़ी भारत में महामारी
सारी दुनिया। शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ एवं अमेरिकी राष्ट्रपति के मुख्य मेडिकल सलाहकार डॉ. एंथनी फाउची का मानना है कि जल्दबाजी में सब कुछ अनलॉक कर देना भारत में महामारी का प्रकोप बढ़ने का मुख्य कारण रहा है। उन्होंने अमेरिकी सांसदों को कोविड-19 से बिगड़े हालात पर भारत की गलतियों से सीख लेने की नसीहत दी है। गत 11 मई को कोरोना पर सीनेट की स्वास्थ्य, शिक्षा, श्रम एवं पेंशन समिति के समक्ष सुनवाई के दौरान डॉ. फाउची ने कहा, ‘भारत अभी जिस गंभीर संकट में है, उसका मुख्य कारण यह है कि वहां मरीजों की संख्या बढ़ने के बावजूद गलत धारणा बनाई गई कि कोरोना खत्म हो चुका है। इसके बाद वहां समय से पहले सब कुछ खोल दिया गया और नतीजा सबके सामने है। भारत महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित है और देश के कई राज्य अस्पताल, स्वास्थ्य कर्मियों, टीकों, ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘सबसे महत्वपूर्ण यह है कि स्थिति को कभी भी कम करके नहीं आंकें। दूसरी चीज, जन स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने की तैयारी की जाए। एक और सबक यह है कि यह समय सिर्फ अपने देश को संभालने का ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों का भी साथ देने का है। दुनिया में अगर कहीं भी महामारी है तो अमरीका सहित दूसरे देशों को भी इसका खतरा बना रहेगा।’
सुनवाई की अध्यक्षता कर रही सीनेटर पैटी मुरे ने कहा, ‘भारत के हालात से सीखना चाहिए कि अमेरिका में तब तक इस महामारी को खत्म घोषित नहीं कर सकते, जब तक कि यह सब जगह समाप्त न हो जाए।’ उन्होंने कहा, ‘भारत में घातक प्रकोप यह भी बताता है कि अगर संक्रमण के प्रसार पर रोक नहीं लगाई गई, तो यह ज्यादा संक्रामक और ज्यादा घातक रूप ले सकता है।’
बता दें कि कुछ समय पहले भी अमेरिका के सात राष्ट्रपतियों के साथ काम कर चुके डॉ. फाउची ने भारत में कोरोना की बिगड़ती स्थिति पर अपने विचार व्यक्त किए थे। तब उन्होंने महामारी पर लगाम लगाने के लिए सरकार को त्रि-स्तरीय फार्मूला लागू करने का सुझाव दिया था। उन्होंने तुरंत कुछ समय के लिए लॉक डाउन लगाने, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर व दवाओं की आपूर्ति के लिए आयोग गठित करने और लंबी प्लानिंग के रूप में वेक्सिनेशन की रफ्तार तेज करने की बात कही थी। उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों की तादाद बढ़ाने पर भी जोर दिया था।