डिप्रेशन, अवसाद, तनाव – यह कैसी बीमारी है, जिसने सुशांत सिंह राजपूत जैसे शानदार अभिनेता को हमसे छीन लिया। गरीबी दुख का कारण होती है, मौतों का कारण होती है, पर कई बार यह भी लगने लगता है की संपन्नता भी मौत का कारण हो सकती है। ऐसी संपन्नता, जो हमें अकेला कर देती है – अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और आखिरकार खुद से भी। ऐसा ऐश्वर्य, हमें हमसे ही छीन लेता है, सब कुछ होने के बावजूद हमें लगने लगता है, जैसे कुछ भी नहीं है, सब कुछ खत्म हो चुका है, यहां तक कि हमारी क्षमताएं और इच्छाएं भी। रह जाता है तो सिर्फ भावनाओं का ऐसा ज्वार, जो हमारे समूचे अस्तित्व को बहा ले जाता है, एक ऐसे अंधकार की ओर, जिससे बाहर निकलना फिर हमारे बस में नहीं रहता; क्योंकि हमें भरोसा ही नहीं होता कि हम उससे बाहर आ सकते हैं, या कोई हमें उस अंधकार से बाहर निकाल सकता है, या हम इस से बाहर निकले तो क्यों! इस तरह हम तिल-तिल मरते हुए एक दिन मामला ही निपटा देते हैं। सुशांत के साथ ऐसा ही हुआ होगा या इससे भी बुरा, जिस के अंदाजे लगाए जाते रहेंगे बार-बार, लंबे समय तक।
सुशांत संघर्ष और बुद्धिमता का दूसरा नाम था। मूल रूप से पटना, बिहार का रहने वाला यह युवा, जितना बेहतरीन अभिनेता था, उतना ही कुशल डांस आर्टिस्ट भी था। कला के क्षेत्र में ही नहीं, शिक्षा के क्षेत्र में भी अव्वल था वह। विज्ञान के विद्यार्थी रहे सुशांत ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। यही नहीं, वह नेशनल फिजिक्स ओलंपियाड का गोल्ड मेडलिस्ट भी रहा। अगर वह अभिनेता ना होता, तो संभव है देश का बड़ा इंजीनियर होता।
परंतु उसे अभिनेता ही बनना था, क्योंकि यह उसका जुनून था। इसलिए घरवालों की इच्छा के विरुद्ध उसने मशहूर कोरियोग्राफर श्यामक डावर की डांस क्लासेस जॉइन की – कॉमन वेल्थ गेम्स सहित न जाने कितने ही बड़े समारोहों और अवार्ड सेरेमनीज़ में डांस टीम का हिस्सा रहे…. और फिर टीवी सीरियलों के माध्यम से अभिनय की दुनिया में दाखिल हो गए।
अपने दम पर बॉलीवुड में अपनी विशिष्ट पहचान और खास जगह बनाने वाले सुशांत सेल्फ मेड एक्टर थे। उन्होंने अभिनय की कोई डिग्री नहीं ली थी। फिल्म इंडस्ट्री में उनका कोई गॉडफादर भी नहीं था। फिर भी वे स्टारडम को छूने में कामयाब रहे, उन ऊंचाइयों तक पहुंचे, जहां तक पहुंचना किसी भी कलाकार का सपना होता है।
‘किस देश में है मेरा दिल’ सुशांत का पहला सीरियल था, पर उन्हें पहचान एकता कपूर के धारावाहिक ‘पवित्र रिश्ता’ से मिली। इसके बाद उन्होंने फिल्मों का सफर शुरु किया और वे फिल्म ‘काय पो छे’ में लीड एक्टर के तौर पर नजर आए। फिल्म में उनके अभिनय को काफी तारीफ मिली और उन्हें एक के बाद एक बेहतरीन फिल्में मिलती गईं।
‘काय पो छे’ के बाद सुशांत ‘शुद्ध देसी रोमांस’ में वाणी कपूर और परिणीति चोपड़ा के साथ दिखाई दिए। उन्होंने पीके, राब्ता, सोनचिड़िया और छिछोरे जैसी कई फिल्मों में अपने सशक्त अभिनय की छाप छोड़ी। फिल्म छिछोरे में सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या के खिलाफ ही आवाज उठाई थी। सुशांत ने अपने 7 साल के फिल्मी करियर में 11 फिल्मों में काम किया, हालांकि सुशांत को सबसे बड़ी कामयाबी भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान एम एस धोनी की बायोपिक से मिली। यह सुशांत के करियर की पहली फिल्म थी जिसने सौ करोड़ का बिजनेस किया। उनकी आखिरी फिल्म केदारनाथ थी जिसमें वे सारा अली खान के साथ नजर आए थे। इन दिनों वे हॉलीवुड फिल्म ‘द फॉल्ट इन अवर स्टार्स’ के हिंदी रीमेक में संजना सिंह के साथ काम कर रहे थे।
पिछले कुछ दिनों में ऋषि कपूर व इरफान खान जैसे अभिनेताओं म्यूजिक कंपोजर वाजिद खान और गीतकार योगेश गोर की दुःखदाई मृत्यु से पहले ही गमजदा बॉलीवुड, सुशांत की कथित आत्महत्या से बुरी तरह हिल गया है। जैसे ही यह खबर आई कि सुशांत सिंह राजपूत ने मुंबई के बांद्रा स्थित अपने फ्लैट में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली, पूरा कला जगत स्तब्ध रह गया। राजनीति, फिल्म, साहित्य-संस्कृति और सामाजिक कामों से जुड़ी बड़ी हस्तियों से लेकर साधारण जनता तक ने उनकी मृत्यु पर शोक जताया है।…. और इसी के साथ मुस्कुराते चेहरों के पीछे के दर्द को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। हालांकि पहले भी ग्लैमर की दुनिया से जुड़ी हस्तियों के अवसाद और अकेलेपन की कई बेहद दुखद घटनाएं घट चुकी हैं, लेकिन सुशांत का मामला इसलिए थोड़ा अलग और अधिक डरावना है कि वे महज 34 साल के थे। सामाजिक और वैचारिक रूप से बेहद सक्रिय होने के साथ-साथ व्यवसायिक रूप में भी सफल थे। कई बड़ी फिल्में उनके हाथ में थी। फिर भी ऐसा कदम उठाने को मजबूर हुए। इस मजबूरी, इस हालात को समझना सच में मुश्किल है, कि सफलता के शिखर पर खड़ा एक युवा, पूरी दुनिया को अपने लिए नाकाफी और बेकार मान ले। सॉरी सुशांत! हम तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाए। सफलता और ऐश्वर्य के बावजूद यह अपेक्षाओं का बोझ, यह नाकामी का डर, यह भविष्य के प्रति असुरक्षा और सबसे ज्यादा अकेलापन, एलिनेशन…. जान ले ली तुम्हारी इन्होंने। पर शायद तुम्हारे इस कदम ने आईना दिखा दिया है, कि भयंकर असंतोष का शिकार हमारी पूरी युवा पीढ़ी इस गंभीर मानसिक खतरे की ज़द में है।