कोविड 19 संकट को अवसर में बदलने और देश को आत्मनिर्भर बनाने की सरकारी घोषणाओं के बीच पेस्टीसाइड इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने आरोप लगाया है कि सरकार के एक फैसले ने 12,000 करोड़ रुपए का निर्यात बाजार थाल में सजाकर चीन को सौंप दिया है। उन्होंने कहा कि एक ओर तो सरकार आयात पर चीन की निर्भरता को कम करने की बात कर रही है, वहीं ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं कि चीन को भारत मे 12,000 करोड़ रुपए का निर्यात करने का मौका मिलने जा रहा है।
असल में, सरकार ने देश में बनने वाले 27 तरह के कीटनाशकों के उत्पादन पर रोक लगाने की इच्छा जताई है, जिन्हें एक सरकारी समिति ने मनुष्यों और जानवरों के लिए नुकसानदेह माना है। कृषि मंत्रालय ने गत 14 मई को एक नोटिस जारी कर इस बारे में एक प्रारूप नोटिफिकेशन जारी किया है कि सरकार इन 27 कीटनाशकों पर रोक लगाना चाहती है। इस बारे में सभी पक्षों को अपनी राय रखने के लिए 45 दिन का समय दिया गया है। पेस्टिसाइड्स मैन्युफैक्चरर्स एण्ड फॉर्मूलेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (पीएमएफएआई) ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि समिति ने उनके विचारों को सुना ही नहीं है।
गौरतलब है कि इन कीटनाशकों का घरेलू बाजार में करीब 40 फीसदी का कब्जा है। इन पर बैन लगाने से किसानों को महंगे आयातित ब्रांडों का इस्तेमाल करना पड़ेगा। भारत में बनने वाला जो कीटनाशक 350-450 रुपए प्रति लीटर में मिल जाता है, वह आयातित होने के बाद 12,00 से 2000 रुपए लीटर मिलेगा। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर यह प्रतिबंध लग गया तो भारत का पेस्टिसाइड बाजार सिमटकर 50 फीसदी तक हो जाएगा और लोबल जेनरिक पेस्टिसाइड मार्केट पर चीन का कब्जा हो जाएगा।
पीएमएफएआई के प्रेसिडेंट और एमिको पेस्टिसाइड्स के चेयरमैन प्रदीप दवे का कहना है, ‘भारत में ये सभी 27 तत्व नियामक अथॉरिटी सीआईबी और आरसी में रजिस्टर्ड हैं और सुरक्षा एवं प्रभावोत्पादकता के सभी वैज्ञानिक मूल्यांकन को पूरा करते हैं। इनका इस्तेमाल भारत में 70 के दशक से बिना किसी जोखिम या मनुष्यों, जानवरों और पर्यावरण पर किसी तरह के विपरीत असर के हो रहा है। इनमें मैलाथियान भी शामिल है, जिसका सरकार ने हाल में टिड्डियों के हमलों के दौरान जमकर इस्तेमाल किया है।’
दवे ने कहा कि जिस डॉ. अनुपम वर्मा समिति ने बैन की सिफारिश की है उसका निर्णय बिल्कुल मनमाना है। उन्होंने कहा, ‘इस समिति की स्थापना 2013 में तीन नियॉन इकोटिनाइट्डस के इस्तेमाल की जांच के लिए की गई थी, लेकिन जल्दी ही इसे 66 जेनरिक इंसेक्टिसाइड्स पर विचार करने का अधिकार दे दिया गया जिन पर दूसरों देशों में प्रतिबंध या अंकुश है और उनका भारत में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह एफएओ की सलाह के खिलाफ है, जो कहता है कि हर देश को अपनी जरूरतों, फसलों, जलवायु आदि के मुताबिक कीटनाशक चुनना चाहिए।’
इंडस्ट्री बॉडी ने कहा कि इस बारे में सरकार एक उच्च स्तरीय वैज्ञानिक समिति बनाए जो मामले पर अंतिम रूप से विचार करे।