हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग ने 1983 पीटीआई को बड़ी राहत देते हुए उन्हें हटाने के आदेशों पर मौखिक रोक लगा दी है। इससे प्रदेश के उन पीटीआई की नौकरी फिलहाल बच गई है, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने हटाने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार, पहले सरकार ने न केवल इन्हें हटाने के आदेश जारी कर दिए थे, बल्कि नई भर्ती के लिए भी प्रक्रिया शुरू कर दी थी। लेकिन अब सरकार इन्हें राहत देने के मूड में लग रही है। इसी के चलते पीटीआई को रिलीव करने की अंतिम तिथि, 30 मई को स्कूलों में सुबह से शाम तक संशय की स्थिति बनी रही कि इन्हें हटाया जाए या नहीं। प्राप्त जानकारी के अनुसार बीईईओ की ओर से जारी मौखिक आदेशानुसार अधिकांश पीटीआई को नहीं हटाया गया है।
आपको बता दें कि 29 मई को मुख्यमंत्री कार्यालय में हुई एक बैठक में पूरे मामले को लेकर गंभीर विचार-विमर्श हुआ। अतिरिक्त मुख्य सचिव स्कूल शिक्षा व निदेशक मौलिक शिक्षा की उपस्थिति में हुई इस बैठक में तय किया गया कि सरकार इस मामले में बीच का रास्ता अपनाएगी और अगले आदेशों तक इन पीटीआई को नहीं हटाया जाएगा।
इससे पूर्व, निदेशक मौलिक शिक्षा ने 28 मई को इन्हें तीन दिन में रिलीव करने के आदेश देते हुए 31 मई तक कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी। विभाग के इस आदेश का सर्व कर्मचारी संघ व हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने कड़ा विरोध करते हुए काला दिवस मनाया था और जिला स्तर पर रोष प्रदर्शन किए थे।
सर्व कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा और हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रधान सीएन भारती ने मांग की है कि सरकार जल्दी से जल्दी पीटीआई को न हटाने के लिखित आदेश जारी करे। उन्होंने दावा किया कि सीएम मनोहर लाल ने उनके साथ हुई बैठक में पीटीआई को नौकरी से न हटाने का आश्वासन दिया था।
इधर, पता चला है कि पीटीआई एडवोकेट एपी सिंह के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच के सामने पुनर्विचार याचिका दायर करने की तैयारी में हैं। अगर बड़ी बैंच उन्हें कोर्ट के पिछले आदेशों पर स्टे दे देती है तो निःसंदेह उनकी नौकरी बची रहेगी, वरना हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग तो इन पदों के लिए नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू कर ही चुका है। सुप्रीमकोर्ट के निर्देशानुसार इसमें चयनित व गैर चयनित, सभी अभ्यार्थियों को मौका दिया जाएगा।
गौरतलब है कि पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने सितंबर 2013 में एक आदेश पारित कर 2010 में हुई पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था। इसके बाद पीटीआई ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। सुप्रीमकोर्ट में न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने 8 अप्रैल को उनकी अपीलों का निपटारा करते हुए भर्ती रद्द करने के हाइकोर्ट के फैसले को सही माना था। तभी से इन पीटीआई पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही थी। अपने फैसले में कोर्ट ने सरकार को लॉकडाउन खुलने के बाद 5 माह के भीतर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने और रिक्त होने वाले पदों पर नई नियुक्तियां करने का भी आदेश दिया था, जिस पर अमल शुरू कर दिया गया है।