हरियाणा में केस हारकर नौकरी गंवा चुके 1983 पीटीआई का मामला अभी सुलझा भी नहीं था, कि अब 816 ड्राइंग टीचर्स पर बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ड्राइंग टीचर्स की नियुक्ति को लेकर चल रहे एक केस का निपटारा करते हुए करीब 10 साल से नौकरी कर रहे अध्यापकों को बड़ा झटका दिया है। ड्राईंग टीचर यह मुकद्दमा हार गए हैं और अब उनकी नौकरी जाना तय समझा जा रहा है।
बता दें कि हाईकोर्ट ने कला अध्यापकों की नियुक्ति रद करने के एकल बैंच के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर यह फैसला सुनाया है। एकल बैंच में दायर याचिका के अनुसार, हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन (एचएसएससी) ने 20 जुलाई 2006 को विज्ञापन जारी कर 816 ड्राइंग टीचर्स की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे थे। इस दौरान नियम रखा गया था कि एक टेस्ट होने के अलावा 25 अंकों का साक्षात्कार आयोजित किया जाएगा। लेकिन आरोप है कि बाद में कई बार नियमों को बदला गया। कुछ उम्मीदवारों के फार्म तो अंतिम तिथि के बाद भी स्वीकार किए गए। हाईकोर्ट ने पूरी नियुक्ति प्रक्रिया का रिकॉर्ड देखा तो पाया कि कमीशन के चेयरमैन ने अन्य सदस्यों से परामर्श किए बिना ही नियुक्ति का पैमाना बदल दिया था।
यह भी कहा गया कि कमीशन ने एक और संशोधन करते हुए 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वालों को ही इंटरव्यू में बुलाया। इंटरव्यू के अंक भी 25 से बढ़ाकर 30 कर दिए गए। याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और हाईकोर्ट ने भर्ती को खारिज करते हुए कहा था कि भर्ती प्रक्रिया के बीच में नियमों में संशोधन नहीं किया जा सकता। कला अध्यापकों ने एकल बैंच के इस फैसले के खिलाफ आगे अपील की, लेकिन कोर्ट ने फैसले को न्यायसंगत पाया। न्यायधीशों ने भर्ती प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण बताते हुए कला अध्यापकों को राहत देने से इंकार कर दिया और उनकी बर्खास्तगी पर मुहर लगा दी।