हरियाणा की जनता ने दिन रात की कड़ी मेहनत से इस प्रदेश का नव निर्माण करने के साथ-साथ देश विदेश में उसकी खास पहचान भी कायम की है। हरियाणा की एक पहचान उसके खिलाड़ियों से है। इस प्रदेश की खेल की प्रतिभाओं ने विभिन्न राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करके अपने देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है। ओलंपिक खेल हो या वर्ल्ड कप और वर्ल्ड चैंपियनशिप, हरियाणा के खिलाड़ियों ने हर जगह अपनी प्रतिभा के झंडे गाड़े हैं। भीम सिंह ओलंपियन, कैप्टन हवा सिंह, पहलवान उदय चंद व लीला राम आदि कितने ही खिलाड़ी हैं जिनका नाम देश-विदेश में बेहद सम्मान से लिया जाता है।
यहां के खिलाड़ियों ने न केवल अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश का प्रतिनिधित्व किया है, बल्कि अनेक बार भारतीय टीम की अगुवाई भी की है। हरफनमौला क्रिकेटर कपिल देव का नाम भला कौन भूल सकता है, जिन्होंने अनेक रिकॉर्ड बनाए और भारतीय टीम को अनेक शानदार जीत दिलवाईं। उन्हीं की अगुवाई में देश ने पहली बार 1983 में क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता। इसी तरह, अनूप सिंह की कप्तानी में भारत ने कबड्डी वर्ल्ड कप जीता। सरदार सिंह, प्रीतम रानी ठाकरान, रितु रानी और रानी रामपाल ने अपनी कप्तानी में कई नामी हॉकी प्रतियोगिताएं जीती हैं। यहां खिलाड़ियों ने कोच और प्रशिक्षक के रूप में भी बेहतरीन काम करते हुए देश को अनेक होनहार खिलाड़ी दिए हैं। मास्टर चंदगीराम और महावीर सिंह फोगाट ने देश को अनेक ओलंपियन पहलवान दिए हैं। एमके कौशिक ने जहां भारतीय महिला हॉकी टीम को नई ऊंचाइयां दी, वहीं सुनील डबास ने देश की महिला कबड्डी टीम को तराशा। जगदीश सिंह ने मुक्केबाजी में नई प्रतिभाओं को आगे बढ़ाया, तो बलदेव सिंह ने शाहबाद जैसे कस्बे में महिला हॉकी पर राज करने वाली खिलाड़ी पैदा कीं।
यूं तो इस क्षेत्र के युवाओं ने सदा ही खेलों में बढ़-चढ़कर भाग लिया है लेकिन 1967 में अलग प्रदेश बनने के बाद तो यहां के खिलाड़ियों ने खेलों की दुनिया में नए आयाम स्थापित किए हैं। यह यहां के खिलाड़ियों की प्रतिभा और कठिन मेहनत का ही परिणाम है कि हम इस प्रदेश की गौरवमयी खेल उपलब्धियों पर फक्र से सिर ऊंचा कर सकते हैं।
खेलों के क्षेत्र में नित नए मुकाम हासिल करने में यहां के खिलाड़ियों, खेल प्रशिक्षकों, विभिन्न संस्थाओं का मत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिनमें सरकार की खेल नीतियां भी शामिल हैं। सरकार ने जहां ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के साथ-साथ हर स्तर पर खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की योजनाएं तैयार कीं, वहीं खिलाड़ियों ने भी सुविधाओं की कमी का रोना रोए बगैर दिन-रात कड़ी मेहनत की और अपेक्षित परिणाम हासिल किए। सरकार के प्रयासों को खेल संघों, नर्सरियों, अकादमियों, अखाड़ों, शैक्षणिक संस्थाओं और व्यक्तिगत स्तर पर किए जा रहे छोटे-छोटे प्रयोगों से विशेष बल मिला। सब ने मिलकर हरियाणा को खेलों की दुनिया में नई ताकत के रूप में उभारा।
इस प्रदेश की खेल हस्तियों का जिक्र करें तो देश की पहली ओलंपिक पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक, मुक्केबाजी में पहले ओलंपिक पदक विजेता और पेशेवर मुक्केबाजी में धाक जमा चुके विजेंद्र सिंह, पहलवान योगेश्वर दत्त, बजरंग पुनिया और रियो पैरालंपिक खेलों की पदकधारी दीपा मलिक इसी धरती से जुड़े हैं। अनेक रिकॉर्डधारी क्रिकेटर और विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग, महिला कुश्ती में देश की पहली ओलंपिक खिलाड़ी गीता फोगाट, कुश्ती की नई सनसनी विनेश फोगाट, एथलीट गीता जुत्शी, सीमा अंतिल, निर्मला श्योराण, कृष्णा पूनिया, धर्मवीर सिंह, सोनिया लाठर, पूजा ढांडा, अमित पंघाल, ड्रैग फ्लिकर संदीप सिंह, सीता गोसाईं, सविता पूनिया, ममता खरब और सुनीता दलाल देश के प्रमुख खेल सितारों में शामिल हैं। दो बार की माउंट एवरेस्ट विजेता संतोष यादव के अतिरिक्त ममता सौदा और अनिता कुंडू ने पर्वतारोहण में ने कीर्तिमान स्थापित किए हैं। पहलवान संग्राम सिंह, गीतिका जाखड़, सोनिका कालीरमन, मुक्केबाज अखिल कुमार, मनोज कुमार, विकास कृष्ण, अमित पंघाल, क्रिकेटर चेतन शर्मा, जोगेंद्र शर्मा, मोहित शर्मा, युजवेंद्र चहल, गुगली के बादशाह राजेंद्र गोयल, टेनिस खिलाड़ी सुमित नागल, शूटर मनु भाकर, यशस्विनी और भाला फेंक के रिकार्डधारी नीरज चोपड़ा भी प्रदेश का नाम रोशन करने वाली हस्तियों में शामिल हैं।
ओलंपिक पदक विजेता साइना नेहवाल, पहलवान सुशील कुमार, भारोत्तोलन कर्णम मल्लेश्वरी और शूटर गगन नारंग का भी हरियाणा कनेक्शन रहा है। प्रदेश के और भी न जाने कितने नामी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने-अपने समय में भारतीय खेलों को नई ऊंचाइयां प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अगर इन सब के नाम लिखे जाएं तो निसंदेह यहां जगह कम पड़ जाएगी। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यदि हम 1967 से अब तक के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की सूची तैयार करेंगे तो हर खेल में किसी न किसी हरियाणावासी का नाम अवश्य मिलेगा।
– अविनाश सैनी।