सारी दुनिया। हरियाणा की नाट्य क्षेत्र में सबसे पुरानी और अग्रणी संस्था सप्तक कल्चरल सोसायटी रोहतक के तत्वावधान में, नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला, महर्षि दयानंद विश्विद्यालय रोहतक और पठानिया वर्ल्ड केंपस के सहयोग से तीन दिवसीय हास्य नाटक उत्सव का आयोजन किया गया। यह आयोजन महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक के राधाकृष्णन सभागार में 25 नवंबर से 27 नवंबर तक किया गया। हास्य नाटक उत्सव में प्रतिदिन दो हास्य नाटकों का प्रदर्शन किया गया।
पहले दिन, 25 नवम्बर को अलवर की अग्रणी संस्था रंग संस्कार थियेटर ग्रुप द्वारा हड़ताल नाटक का मंचन किया गया जिसके निर्देशक थे देशराज मीणा। नाटक में दिखाया गया कि एक घर के सभी व्यक्ति घर के प्रमुख के खिलाफ हड़ताल पर चले जाते हैं और धीरे-धीरे स्थितियां चुटीली और हास्यपरक होती जाती हैं। अंत में सब कुछ ठीक हो जाता है और पिता अपने बच्चों की और अपनी पत्नी की बात को समझ जाता है। नाटक के लेखक थे कणाद ऋषि भटनागर। समारोह का विधिवत उद्घाटन संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के उप सचिव (ड्रामा) सुमन कुमार ने किया जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता डीन युवा कल्याण विभाग, एम डी यू राज कुमार ने की। प्रोफेसर हरीश आर्य ने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय तथा आयोजन समिति की ओर से आगंतुकों का स्वागत किया। इसी दिन शाम को अंबाला की वी एम एस संस्था द्वारा नाटक ‘आओ थोड़ा मुस्कुरा लें’ का मंचन किया गया। इस नाटक की लेखक एवं निर्देशक कमलेश शर्मा रहीं। उन्होंने नाटक में अभिनय भी किया। नाटक बेहद हास्यास्पद स्तिथियों को समेटे हुए था जिसमें घर का प्रमुख, जिसको किभूलने की बीमारी थी, वह अपनी इस बीमारी के चलते घर के सभी सदस्यों को परेशान करता है। लेकिन अंत में सभी को मानना पड़ता है कि वह व्यक्ति सच में बहुत ही प्यारा है और उसूलों का पक्का इंसान है। उसके भूलने की आदत के कारण स्थितियां कई बारी बहुत ही विकट हो जाती हैं लेकिन अंत में नाटक हंसी खुशी के माहौल में खत्म होता है।
नाटक उत्सव के दूसरे दिन सुबह के सत्र में दिल्ली के विख्यात नाटककार जयवर्धन के लिखे नाटक ‘गोरख धंधा’ का मंचन किया गया जिसकी निर्देशक रही यामिनी गोयल। यह नाटक नाट्यकांडी ग्रुप दिल्ली द्वारा पेश किया गया। नाटक में भरपूर मनोरंजन रहा और जैसा कि सभी हास्य नाटकों में होता है इसका अंत में भी सुखद रहा। नाटक बड़े शहरों की मकान किराए पर देने की समस्या पर आधारित था। दिन के दूसरे सत्र में हरि भाई वडगांवकर के लिखे नाटक ‘गधे की बारात’ का मंचन किया गया। यह नाटक स्थानीय संस्था सप्तक कल्चरल सोसायटी द्वारा पेश किया गया और निर्देशक रहे विश्व दीपक त्रिखा। नाटक समाज के दोहरे मापदंडों पर एक करारा व्यंग था। यह नाटक का 329वान मंचन था जोकि समाज की सही दशा को दिखाने में पूर्णतया कामयाब रहा। नाटक में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की कुरुक्षेत्र के जाने वाले लेखक, निर्माता और निर्देशक राजेंद्र वर्मा यश बाबू ने। उन्होंने नाटक के सभी कलाकारों के साथ मिलकर एक फिल्म बनाने की भी घोषणा की।
समारोह के तीसरे दिन सुबह के सत्र में आवरण ग्रुप दिल्ली द्वारा मॉलियर के प्रसिद्ध नाटक ‘बिच्छू’ का मंचन किया गया। यह नाटक एनएसडी के स्नातक राजेश तिवारी द्वारा निर्देशित किया गया। नाटक में दिखाया गया कि किस तरह से एक चालाक नौकर द्वारा अपने मालिक को लूटा जाता है, लेकिन अंत में उसका भेद खुल जाता है और सभी मिलकर उसको सजा देते हैं। नाटक हंसी से लोटपोट करने वाला था। वरिष्ठ कलाकार राघुवेंद्र मलिक ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और पत्रकारिता एवं जन संचार विभाग की पूर्व प्रोफेसर सरोजनी दहिया ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। शाम के सत्र में प्रयास कानपुर /दिल्ली द्वारा नाटक ‘नाक’ का मंचन किया गया। यह नाटक प्रसिद्ध नाटककार निकोलाई गोगोल का लिखा हुआ है, इसका निर्देशन किया शिल्पा वर्मा ने। नाटक में व्यंगात्मक रूप से दिखाया गया कि असल में नाक कटना किसे कहते हैं। इंसान अपनी नाक की बहुत परवाह करता है परंतु रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसे ऐसे काम करता है जिससे दिन में 10 बार उसकी नाक कटती है, लेकिन इसका उसे पता ही नहीं होता और जब पता चलता है तो सिवाय पछतावे के और कुछ नहीं हो सकता। नाटक में मुख्य अतिथि रहे डाक्टर आनंद तायल और अध्यक्षता की पठानिया वर्ल्ड कैंपस के चेयरमैन अंशुल पठानिया ने। अंत में सप्तक के अध्यक्ष विश्व दीपक त्रिखा ने उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला, युवा कल्याण विभाग, महर्षि दयानंद विश्विद्यालय रोहतक और पठानिया वर्ल्ड कैंपस रोहतक का आभार प्रकट किया और आशा की कि ऐसा ही सफल कार्यक्रम जल्दी ही फिर से शहर में आयोजित किया जाएगा। समारोह का मंच संचालन सप्तक के सचिव अविनाश सैनी ने किया।