फ़िल्म निर्देशक संदीप शर्मा ने सिखाए अभिनय के गुर
रोहतक, 19 मार्च। प्रख्यात अभिनेता यशपाल शर्मा के मार्गदर्शन में कार्य कर रही हरियाणवी इन्नोवेटिव फ़िल्म एसोसिएशन (HIFA) की 45 दिवसीय नाटक कार्यशाला आज यहां पठानिया वर्ल्ड कैंपस में शुरू हो गई। कार्यशाला के पहले दिन राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित ‘सतरंगी’ से चर्चा में आए फ़िल्म निर्देशक संदीप शर्मा ने बच्चों को अभिनय के गुर सिखाए। उन्होंने कहा कि एक अच्छा एक्टर बनने के लिए अपने आसपास के माहौल को ही नहीं, खुद को भी गंभीरता से ऑब्ज़र्व करना चाहिए। इसके अलावा एक अच्छे अभिनेता में नकल करने का गुण भी होना चाहिए। वह धैर्यवान, अनुशासन प्रिय, चौकन्ना, आत्मविश्वासी, हमेशा सीखने को आतुर हो तथा उसमें खुद को सम्प्रेषित (कम्युनिकेट) करने की क्षमता हो। उन्होंने एक्टिविटीज़ के माध्यम से इन सब गुणों को प्रदर्शित भी करवाया।
इस दौरान जब संदीप शर्मा ने बच्चों से एक्टिंग सीखने का कारण जानना चाहा तो बच्चों ने बताया कि वे बेहतर इंसान बनने, लोगों की सोच बदलने, खुद को जानने, समाज और सामाजिक समस्याओं को समझने तथा मज़ा लेने के लिए नाटक सीखना चाहते हैं। शर्मा ने कहा कि हम जितना फील करेंगे, उतनी ही बेहतर एक्टिंग कर पाएंगे। बीच-बीच में कार्यशाला संयोजक सुजाता और अविनाश सैनी ने भी बच्चों की छुपी हुई प्रतिभा को बाहर निकालने के लिए उन्होंने व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियां करवाईं। उन्होंने कंसन्ट्रेशन, स्पेस और इम्प्रोवाइजेशन की एक्सरसाइज करवाईं, जिनका प्रतिभागियों ने खूब मजा लिया। कार्यक्रम संयोजक नीतू सेठी ने भी अपने अनुभव रखे।
इससे पूर्व प्रख्यात हास्य अभिनेता जनार्दन शर्मा, अंशुल पठानिया, संदीप शर्मा और रंगकर्मी विश्वदीपक त्रिखा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। अंशुल पठानिया ने उद्घाटन वक्तव्य रखते हुए कहा कि अच्छा और संवेदनशील इंसान बनने के लिए बच्चों का कला, और खासतौर पर नाटक से जुड़ना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि पठानिया स्कूल तरह के प्रयासों में आगे भी हमेशा तैयार रहेगा। जनार्दन शर्मा ने हाइफा की ओर से स्रोत-व्यक्ति और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रतिभा सब में होती है, बस उसे बाहर लाने और निखारने की आवश्यकता होती है। इसमें इस तरह की कार्यशालाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस मौके पर लेखक सुशील सैनी, नरेश वत्स, सुनील अत्री भी उपस्थित रहे।