सारी दुनिया, 7 अगस्त। भारत के नीरज चोपड़ा ने नया इतिहास रचते हुए जेवलिन थ्रो में Gold Medal जीत लिया है। वे जेवलिन थ्रो ही नहीं, बल्कि एथलेटिक्स की स्पर्धाओं में Gold Medal जीतने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं। ओलंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धा में सोने का तमगा जीतने वाले नीरज भारत के दूसरे खिलाड़ी हैं। उनसे पहले 2008 बीजिंग ओलंपिक्स में दिग्गज शूटर अभिनव बिंद्रा ने पहली बार स्वर्ण पदक जीता था। यानी, नीरज ने 13 साल बाद देश के लिए दूसरा ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता है।
हरियाणा के पानीपत के रहने वाले नीरज ने 87.58 मीटर जेवलिन फेंक कर यह उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने पहले ही प्रयास में 87.03 मीटर भाला फेंक कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। पहले प्रयास के बाद वे 12 खिलाड़ियों में टॉप पर बने हुए थे। दूसरे प्रयास में नीरज ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और 87.58 मीटर थ्रो करके अपने प्रतिद्वंद्वियों से काफी आगे निकल गए। इसके बाद के चार प्रयासों में भी कोई उनके प्रदर्शन के करीब नहीं पहुंच पाया और नीरज ने gold medal अपने नाम कर लिया।
क्वालिफाइंग राउंड में भी टॉप पर रहे थे नीरज
गौरतलब है कि नीरज ने क्वालिफाइंग राउंड में भी टॉप पर रहकर फाइनल में प्रवेश किया था। अपने ओलंपिक अभियान की शुरुआत करते हुए उन्होंने पहली बार में ही 86.65 मीटर का थ्रो किया था और सीधे नंबर एक की पोजिशन पर पहुंच गए थे।
86.67 मीटर थ्रो के साथ चेक गणराज्य के Jakub Vadlejch दूसरे स्थान पर रहे। चेक के ही Vesely Vitezslav तीसरे नंबर पर रहे। उन्होंने 85.44 मीटर का थ्रो किया था। जर्मनी के जूलियन वेबर चौथे और 84.62 मीटर के थ्रो के साथ पाकिस्तान के अरशद नदीम पांचवें स्थान पर रहे।
स्वर्ण के प्रबल दावेदार वेटर नौंवे स्थान पर रहे
Gold Medal के प्रबल दावेदार और 97.76 मीटर दूर भाला फेंक चुके जर्मनी के दिग्गज जोहानेस वेटर इस ओलंपिक में कुछ खास नहीं कर पाए। उनका सर्वश्रेष्ठ थ्रो 82.52 मीटर का रहा और वे टॉप-8 में भी स्थान नहीं बना पाए।
बता दें कि जेवलिन थ्रो के इतिहास में दूसरा सबसे लंबा थ्रो वेटर के ही नाम है। इस 28 वर्षीय एथलीट को निरंतरता में 90 मीटर दूर भाला फेंकने के लिए जाना जाता है। उन्होंने 2017 विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण और यूरोपीय थ्रोइंग कप में स्वर्ण पदक जीता था।
काश! मिल्खा सिंह यह दिन देख पाते
नीरज ने यह जीत बड़ी कुर्बानियों के साथ हासिल की है। कोरोना और चोट के चलते उनका ओलंपिक अभियान एकबारगी तो थम ही गया था। लेकिन नीरज ने हर नहीं मानी और ठीक होते ही विदेश में जाकर प्रैक्टिस शुरू कर दी। ओलंपिक पदक की चाह में उन्हें लंबे समय तक परिवार से दूर रहना पड़ा। अब उनकी स्वर्णिम जीत से देशभर में खुशी का माहौल है। प्रधानमंत्री से लेकर विभिन्न राजनेता और अन्य हस्तियों की तरफ से बधाइयों का तांता लगा हुआ है। काश! आज उड़ान सिख मिल्खा सिंह जिंदा होते तो सबसे अधिक खुश होते। वे इस दिन को देखने की चाह को दिल में ही लिए कुछ माह पहले कोरोना की भेंट चढ़ गए थे। मिल्खा सिंह ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहे थे और उन्हें पदक न जीत पाने का बड़ा मलाल था। वे चाहते थे कि उनके जीते जी कोई खिलाड़ी ओलंपिक की एथलेटिक्स की स्पर्धा में पदक जीते। आज नीरज ने यह कारनामा कर दिखाया है, लेकिन उन्हें गले लगाकर बधाई देने के लिए मिल्खा सिंह आज नहीं हैं। नीरज ने अपना पदक मिल्खा सिंह को ही समर्पित किया है।
बजरंग ने जीता कांस्य पदक
टोक्यो ओलंपिक खेलों के 15वें दिन भारत के स्टार रेसलर बजरंग पूनिया ने पुरुषों के 65 किग्रा वर्ग के फ्रीस्टाइल इवेंट में bronze medal जीत लिया है। उन्होंने कजाखस्तान के दौलेत नियाजबेकोव के खिलाफ एकतरफा अंदाज में 8-0 से जीत हासिल की। सेमीफाइनल में हारने के बाद बजरंग जब शनिवार को कांस्य पदक के मुकाबले में उतरे, तो अलग ही रंग में दिखाई दिए। उन्होंने आक्रामक अंदाज में शुरुआत करते हुए ताबड़तोड़ अंक बटोरे और विरोधी को कोई अंक नहीं लेने दिया।
बजरंग की जीत से भारत ने कुश्ती में दूसरा पदक जीत लिया है। इस तरह भारतीय पहलवान 2012 लंदन ओलंपिक की उपलब्धि को दोहराने में कामयाब रहे जब सुशील कुमार ने silver और योगेश्वर दत्त ने bronze medal जीता था। बजरंग से पहले रवि silver जीत चुके हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि इस बार दोनों ही पदक हरियाणा के पहलवानों ने जीते हैं।
अदिति इतिहास बनाने से चूकीं
दूसरी ओर, शनिवार को भारत का गोल्फ में पहला Medal जीतने का सपना अधूरा रह गया। महिला गोल्फर अदिति अशोक चौथे और अंतिम राउंड में चौथे स्थान पर रहीं और मामूली अंतर से medal जीतने से चूक गईं।