– योगेश कठुनिया, देवेन्द्र झाझरिया ने जीता सिल्वर।
– सुंदर सिंह गुर्जर को मिला कांस्य पदक
– PM मोदी ने दी बधाई।
सारी दुनिया। टोक्यो पैरालंपिक्स (Tokyo Paralympics) में सोमवार का दिन भारत के नज़रिए से काफी सफल रहा। सोमवार को भारत ने 2 गोल्ड, 2 सिल्वर और एक कांस्य सहित कुल 5 पदक अपने नाम किए। दिन की शुरूआत में ही भारत की अवनि लेखारा (Avani Lekhara) ने महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफल (एयर स्टैंडिंग) मुकाबले में जीत हासिल कर इन खेलों में देश के लिए पहला स्वर्ण पदक (Gold Medal) जीता। अवनि पैरालम्पिक्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली देश की पहली महिला बनी हैं। यही नहीं, उन्होंने फाइनल में 249.6 पॉइंट हासिल करते हुए वर्ल्ड रिकॉर्ड की भी बराबरी की है। भारत के लिए दूसरा गोल्ड मेडल हरियाणा के सुमित आंतिल (Sumit Antil) ने जैवलिन थ्रो में जीता। उन्होंने पैरालम्पिक खेलों का नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए यह स्वर्णिम सफलता हासिल की। इनके अलावा पैरालम्पिक्स में दो बार के गोल्ड मेडलिस्ट देवेन्द्र झाझरिया (Devendra Jhajhariya) ने जैवलिन थ्रो में और योगेश कठुनिया (Yogesh Kathuniya) ने डिस्कस थ्रो F56 में सिल्वर मेडल जीता। सुंदर सिंह गुर्जर ने जैवलिन थ्रो में कांस्य पदक हासिल किया।
अवनि को फाइनल में चीन की निशानेबाज ने कड़ी टक्कर दी, लेकिन उन्होंने अपने अचूक निशाने से उन्हें पछाड़ दिया। चीन की महिला शूटर झांग 248.9 अंक के साथ दूसरे नंबर पर रहीं। उन्हें रजत पदक मिला।
अवनि लेखरा 11 साल की उम्र में ही एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गई थीं। इस एक्सीडेंट में उन्हें स्पाइनल कोड में इंजरी हो गई, जिसके चलते उन्हें पैरालाइज हो गया। राजस्थान के जयपुर की रहने वाली 19 साल की अवनि महिलाओं की 10 मीटर एयर स्टैंडिंग निशानेबाजी के SH1 इवेंट में दुनिया की पांचवें नम्बर की खिलाड़ी हैं। Para-Sports में उतरने के लिए उनके पिता ने उनका हौसला बढ़ाया। अवनि ने शूटिंग और आर्चरी दोनों में अपने हाथ आजमाए, लेकिन अंत में शूटिंग को अपना करियर बनाया। वह बीजिंग ओलिंपिक्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले अभिनव बिंद्रा को अपना आदर्श मानती हैं।
सुमित ने वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ जीता गोल्ड मेडल
हरियाणा के सुमित अंतिल ने पैरालंपिक के जैवलिन थ्रो F64 कैटेगरी में वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने 68.95 मीटर दूर भाला फेंका। सन 2015 में एक सड़क हादसे के दौरान एक पैर गवां देने वाले सोनीपत के सुमित पहलवान बनना चाहते थे। हादसे के बाद भी उन्होंने अपने खिलाड़ी बनने के सपने को मरने नहीं दिया और हाथों की मजबूत पकड़ के चलते जैवलिन थ्रो को अपनाया। पहली बार पैरालम्पिक्स में भाग ले रहे सुमित ने टोक्यो पैरालम्पिक्स के फाइनल में तीन बार वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने पहले थ्रो 66.95 मी. पर किया और अपना ही 62.88 मी. के वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ा। फिर दूसरे प्रयास में 68.08 मी. का थ्रो करके नया रिकॉर्ड बनाया। अंत में, पांचवें प्रयास में 68.55 मी. का वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम करते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया। जैवलिन थ्रो में ओलिम्पिक स्वर्ण पदकधारी नीरज चोपड़ा ने उन्हें जीत की बधाई देते हुए कहा है – “खतरनाक”। महज 23 साल के सुमित ने यह पदक अपनी नई जिंदगी के नाम किया है। इसी इवेंट में भारत के संदीप चौथे स्थान पर रहे। उन्होंने 62.20 मी. का थ्रो किया।
देवेन्द्र झाझरिया को रजत पदक से संतोष करना पड़ा, सुंदर को मिला कांस्य
इधर, दो बार के गोल्ड मेडलिस्ट देवेंद्र झाझरिया इस बार गोल्ड से चूक गए और उनको सिल्वर से संतोष करना पड़ा। टोक्यो पैरालंपिक में देवेंद्र और सुंदर सिंह गर्जुर ने जैवलिन थ्रो F46 वर्ग में देश का प्रतिनिधित्व किया था। दोनों ने ही बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए भारत के खाते में दो और मेडल डाल दिए। देवेंद्र ने 64.35 मीटर दूर भाला फेंक कर रजत और सुंदर सिंह ने 64.01 मीटर की दूरी के साथ कांस्य पदक जीता। इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक श्रीलंका के Mudiyanselage Herath ने हासिल किया।
राजस्थान के चुरु जिले के रहने वाले 40 वर्षीय देवेंद्र झाझरिया पैरालम्पिक्स में देश के लिए तीन पदक जीतने वाले भारत के दूसरे खिलाड़ी बन गए हैं। उनसे पहले जोगेंद्र सिंह बेदी ने 1984 में एक सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल जीते थे। हालांकि उनके नाम भारत की ओर से पैरालंपिक्स में दो बार गोल्ड जीतने का रिकॉर्ड दर्ज है। देवेन्द्र ने इससे पहले 2004 एथेंस और 2016 रियो पैरालंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीता था।
योगेश दूसरे स्थान पर रहे
भारत को एक और खुशखबरी डिस्कस थ्रो में मिली। डिस्कस थ्रोअर योगेश कठुनिया ने भी देश के लिए सिल्वर मेडल जीता है। योगेश ने अपने आखिरी और छठे थ्रो में 44.38 मीटर का थ्रो फेंका। तब तक वे टॉप पर थे और तीन एथलीट ही शेष बचे थे। उनके बाद 2 खिलाड़ी उनके थ्रो को पर नहीं कर सके। लेकिन अंत में ब्राजील के एथलीट क्लोयोडने ने 44.57 मीटर का थ्रो फेंक दिया और योगेश को रजत पदक से संतोष करना पड़ा। बिना कोच के प्रैक्टिस करने वाले हरियाणा के इस 24 वर्षीय खिलाड़ी ने पहली बार पैरालम्पिक खेलों में भाग लिया था।
शूटिंग में पदक से चूके महावीर
शूटिंग में महावीर स्वरूप उन्हालकर भी फाइनल तक पहुंचने में सफल रहे, लेकिन मामूली अंतर से मेडल लाने से चूक गए। महावीर 10 मीटर के एयर पिस्टल स्पर्था में ब्रॉन्ज मेडल से केवल 0.3 पॉइंट पीछे रह गए और उन्हें चौथे नंबर पर रहकर संतोष करना पड़ा।
विनोद कुमार ने गंवाया कांस्य पदक
दूसरी ओर, भारत के विनोद कुमार को आज अपना कांस्य पदक गंवाना पड़ा। उन्होंने एक दिन पहले ही डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक जीता था। इसके कुछ देर बाद ही उनका मेडल होल्ड कर लिया गया। उन पर गलत वर्ग में हिस्सा लेने का आरोप लगा था। हरियाणा में रहतक के विनोद ने पुरुषों की डिस्कस थ्रो एफ-52 स्पर्धा में हिस्सा लिया था। उन्हें क्लासिफिकेशन टेस्टिंग में अयोग्य पाया गया।
इससे पहले, टोक्यो पैरालंपिक्स में 29 अगस्त, यानी राष्ट्रीय खेल दिवस के दिन भारत की झोली में दो सिल्वर सहित तीन पदक आए थे। भारतीय पैरा टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविना पटेल ने देश को पहला पदक दिलाया। उन्होंने महिला एकल क्लास-4 वर्ग में रजत पदक जीता। भारत की झोली में दूसरा मेडल निषाद कुमार ने डाला। निषाद ने पुरुषों की ऊंची कूद टी-47 स्पर्धा के फाइनल में सिल्वर मेडल जीता। तीसरा पदक विनोद कुमार का था, जो अब उनसे वापिस ले लिया गया है।
ये पहले पैरा-ओलंपिक खेल हैं, जब भारतीय खिलाड़ियों ने इतने पदक जीते हैं। पीएम मोदी सहित अनेक हस्तियो ने देश का नाम रोशन करने पर विजेता खिलाड़ियों को बधाई दी है। हरियाणा सरकार ने सुमित को 6 करोड़ और योगेश को 4 करोड़ रुपए देने की घोषणा की है। दोनों को खेल नीति के अनुरूप नौकरी भी दी जाएगी।