हाल ही में भारत के नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक खेलों की जैवलिन थ्रो स्पर्धा में देश के लिए पहला गोल्ड मेडल जीता है। वे 125 साल के ओलंपिक इतिहास में एथलेटिक्स की किसी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के पहले खिलाड़ी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के एक ऐसे खिलाड़ी भी हैं, जिन्हें ओलंपिक के समकक्ष माने जाने वाले पैरालंपिक खेलों की जैवलिन थ्रो स्पर्धा में एक नहीं, बल्कि दो स्वर्ण पदक जीतने का गौरव प्राप्त है। देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड (अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न) और पद्मश्री से सम्मानित इस खिलाड़ी का नाम है देवेन्द्र झाझरिया।यानी, देवेन्द्र पैरा खिलाड़ियों के विशेष ओलंपिक खेलों की जैवलिन थ्रो स्पर्धा में नीरज चोपड़ा से पहले दो गोल्ड मेडल जीत चुके हैं।
राजस्थान के चुरू में जन्में देवेन्द्र देश के जाने-माने पैरा-एथलीट हैं। वे पैरा ओलंपिक खेलों में दो गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत के पहले एथलीट हैं। देवेन्द्र ने एथेंस पैरालंपिक्स (2004) की पुरुष भाला फेंक एफ 42–46 स्पर्धा में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता था। रियो पैरालंपिक्स (2016) में उन्होंने अपने रिकॉर्ड को बेहतर बनाते हुए एफ 46 वर्ग में दूसरा ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता। वे 2013 लियॉन विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के अलावा 2014 इंचियॉन एशियन पैरा गेम्स और 2015 दोहा विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीत चुके हैं।
देवेन्द्र टोक्यो पैरालंपिक खेलों में भी भाग ले रहे हैं। वे इस बार भी स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार हैं। टोक्यो पैरालम्पिक्स में देवेन्द्र सहित 54 खिलाड़ी विभिन्न स्पर्धाओं में देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।