कोरोना संक्रमण से बचने के लिए 24 मार्च से देशभर में लागू लॉकडाउन के पहले एक माह के दौरान खाद्य वस्तुओं की खुदरा और थोक कीमतों में करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है। यह बात इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ डेवलपमेंट रिसर्च, मुंबई (आईजीआईडीआर) के एक अध्ययन में सामने आई है। 24 अप्रैल को जारी ‘अर्बन फूड मार्केट्स एंड द लॉकडाउन इन इंडिया’ नामक इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने देशभर के 114 शहरों की 22 खाद्य सामग्रियों की सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कीमतों का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि ट्रांसपोर्ट का बन्द होना तथा उत्पादकों को बाजार तक सामान ले जाने की अनुमति तथा सुविधा न मिलना वस्तुओं की कीमत में बढ़ोतरी का प्रमुख कारण रहा। राज्यों की सीमाओं का बन्द होना भी कीमतों में वृद्धि का एक कारण रहा। इन सब कारणों से किसान (विशेष रूप से दूर-दराज के किसान) फल और सब्जियों को मंडियों या ग्राहकों तक नहीं पहुंचा पाए और वे खेतों में ही नष्ट हो गए। इससे फल और सब्जी उत्पादकों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा और ग्राहकों को भी।
अध्ययनकर्ता सुधा नारायण तथा श्री साहा ने बताया कि शोध के अनुसार लॉकडाउन के शुरुआती 28 दिन में टमाटर की कीमत में 28 फीसदी, आलू की कीमत में 15 फीसदी, अलग-अलग तरह की फलियों की कीमत में 6 प्रतिशत और खाद्य तेलों की कीमत में 3.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। यह भी पाया गया कि आवश्यक खाद्य वस्तुओं को लाने-ले जाने के दिशा-निर्देशों के बावजूद अधिकारीरियों ने इसकी अनुमति न देकर खाद्य सुरक्षा की बजाए लॉकडाउन को अधिक प्राथमिकता दी।
अध्ययन में यह भी सामने आया कि बड़े शहरों की बजाए छोटे शहरों और कस्बों में महंगाई की मार अधिक पड़ी है।