केंद्र सरकार की कृषि नीति को लेकर किसानों में भारी रोष व्याप्त है। भाजपा सरकार किसानों के हित का हवाला देकर जो नीतियां लागू कर रही है, किसानों के अनुसार उनमें से अधिकांश किसान विरोधी और कंपनियों के फायदे की हैं।
इस समय किसानों का गुस्सा सरकार द्वारा लागू किए गए तीन अध्यादेशों और डीजल की कीमतों में की जा रही भारी बढ़ोतरी को लेकर है। इसके विरोध में भारतीय किसान यूनियन की ओर से जगह-जगह रोष प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इसे लेकर हाल ही में किसानों ने यमुनानगर में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया है।
किसान अपने-अपने ट्रैक्टरों के साथ सुढल-सुढैल बाईपास पर इकट्ठे हुए। इसके बाद ट्रैक्टरों का यह काफिला शहर के विभिन्न हिस्सों से गुजरते हुए जिला सचिवालय पहुंचा, जहां किसानों ने उपायुक्त मुकुल कुमार के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा।
हरियाणा अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन ने भी किसानों को पूर्ण समर्थन दिया। एसोसिएशन के सदस्य रोष प्रदर्शन में भी शामिल हुए। इस अवसर पर अनाजमंडी गेट पर ट्रैक्टर खड़ा करने और सचिवालय में ट्रैक्टर ले जाने को लेकर किसानों और पुलिसकर्मियों में झड़प भी हुई। ऐसे प्रदर्शन विभिन्न जिला मुख्यालयों और तहसील स्तर पर भी किए गए।
इस मौके पर भाकियू के प्रदेश संगठन सचिव हरपाल सुढल ने कहा कि हाल ही में सरकार ने तीन अध्यादेश जारी किए हैं। पहले अध्यादेश में सरकार ने कंपनियों और व्यापारियों को अनाज मंडियों के बाहर फसल खरीदने की छूट दी है। इससे मंडीकरण ढांचा टूट जाएगा। दूसरे अध्यादेश के तहत सरकार ने आलू, प्याज, दलहन व तिलहन के भंडारण पर लगी रोक को हटा लिया है।
इससे किसानों को नहीं, बल्कि बड़ी कंपनियों को फायदा होगा। तीसरे अध्यादेश के तहत सरकार कांट्रेक्ट फार्मिग को बढ़ावा देने जा रही है। इसके लागू होने पर किसान अपनी ही जमीन पर कंपनियों के नौकर बनकर रह जाएंगे। ये अध्यादेश लागू होने पर किसानों का वजूद ही खत्म हो जाएगा। इसके अलावा डीजल के दामों में हो रही लगातार बढ़ोतरी ने भी किसानों की कमर तोड़ दी है।
हरपाल सुढल ने कहा कि एक ओर तो केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर डीजल के दामों में बेहताशा बढ़ोतरी की जा रही है। इससे किसानों के समक्ष गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो गया है। पहले ही किसानों को उनकी फसलों के उचित दाम नहीं मिल रहे।
ऊपर से किसान विरोधी फैसलों और महंगाई के चलते किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है। उन्होंने सरकार से तीनों अध्यादेशों को तुरंत प्रभाव से वापिस लेने और मंडीकरण के ढांचे को पहले की तरह बनाए रखने की मांग की। उन्होंने कहा कि किसानों को फसलों की पेमेंट आढ़तियों के माध्यम से ही दी जानी चाहिए।