मेघा बरसो रिमझिम-रिमझिम
जीवन में उल्लास की खातिर
सतरंगी आकाश की खातिर
कृषक के विश्वास की खातिर
और जातक की प्यास की खातिर
मेघा बरसो रिमझिम-रिमझिम।
बागों में सुबास की खातिर
छोटी-छोटी घास की खातिर
हर आम और खास की खातिर
नव जीवन की आस की खातिर
मेघा बरसो रिमझिम-रिमझिम।
भंवरों के गुंजान की खातिर
वन उपवन की शान की खातिर
मोती के निर्माण की खातिर
धरा के अमृतपान की खातिर
मेघा बरसो रिमझिम-रिमझिम।
कागज़ की कश्ती की खातिर
बच्चों की मस्ती की खातिर
बस्ती दर बस्ती की खातिर
जीवों की हस्ती की खातिर
मेघा बरसो रिमझिम-रिमझिम।
गौरी के श्रृंगार की खातिर
प्रियतम के उपहार की खातिर
सावन माह के सार की खातिर
झूलों के त्यौहार की खातिर
मेघा बरसो रिमझिम-रिमझिम।
– अविनाश सैनी
# 9416233992