सारी दुनिया। रविवार, 12 सितम्बर को रोहतक में क़ुदरती खेती मार्गदर्शिका का नया संस्करण जारी होगा। 2010 में छपा इस का पहला संस्करण देश के हिंदी भाषी प्रदेशों में दूर दूर तक गया है और अब तक इस की 12500 प्रतियाँ छप चुकी हैं। अब पूरी तरह से हरियाणा के जैविक किसानों के अनुभवों पर आधारित नया संस्करण जारी किया जाएगा। कुदरती खेती अभियान के सलाहकार प्रो. राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि इस पुस्तिका को हरियाणा के लगभग 30 ऐसे अनुभवी किसानों के मार्गदर्शन में तैयार किया है जो बिना किसी बाह्य उत्पाद के सफलतापूर्वक जैविक/कुदरती खेती कर रहे हैं। इस पुस्तिका में सुझाए सभी उपाय हरियाणा में सफलतापूर्वक लागू किये जा चुके हैं।
अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे डॉ. चौधरी ने बताया कि यह पुस्तिका क़ुदरती खेती अभियान द्वारा आयोजित किये जा रहे ‘जैविक खेती जन संवाद’ के अवसर पर जारी की जायेगी। आम तौर पर किसान एवं कृषि वैज्ञानिक दोनों यह मानते हैं कि जैविक खेती अच्छी तो है पर देश का पेट नहीं भर सकती। ‘जैविक खेती जन संवाद’ का आयोजन इस संशय को दूर करने के लिए किया जा रहा है कि बिना रसायनों के उच्च पैदावार संभव नहीं है। इस लिए इस जन संवाद में हरियाणा के सभी किसानों, उपभोक्ताओं, किसान संगठनों एवं कृषि वैज्ञानिकों तथा अधिकारियों को आमंत्रित किया गया है। सम्मेलन रोहतक के स्वामी नितानंद स्कूल में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा।
डॉ. चौधरी के अनुसार, हरित क्रांति के केंद्र बिंदु हरियाणा के जैविक किसानों के अनुभवों को सुनने-परखने के लिए, न केवल प्रदेशभर से, अपितु पड़ोसी राज्यों के अलावा गुजरात इत्यादि से भी किसान आएंगे। कई किसान संगठनों एवं बागवानी विभाग हरियाणा एवं राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र गाज़ियाबाद के प्रतिनिधिमंडल के शामिल होने की लिखित सूचना भी प्राप्त हो चुकी है।
कार्यक्रम के शुरू में सफल जैविक किसान अपने अनुभव बताएंगे। इस के बाद एक सत्र समस्या समाधान का होगा एवं अंतिम सत्र में सभी संगठनों एवं संस्थाओं के प्रतिनिधियों को इस बारे में संक्षेप में अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। इस संवाद में कोई मुख्य अतिथि या अध्यक्ष नहीं होगा।
गौरतलब है कि कुदरती खेती अभियान पिछले 12 साल से हरियाणा में आत्मनिर्भर जैविक खेती के प्रचार प्रसार के लिए काम कर रहा है। अनुभवी जैविक किसान उदयभान इस के संयोजक हैं। उन्होंने हरियाणा की जनता, विशेष तौर पर किसानों, किसान संगठनों तथा कृषि वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों से जन संवाद में शामिल होने की अपील की है।