700 मीट्रिक टन से कम की सप्लाई पर होगी अवमानना कार्यवाही
दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी पर केंद्र सरकार के रवैये को लेकर दिल्ली दिल्ली हाई कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है। अदालत ने 4 मई को केस की सुनवाई करते हुए कहा, ‘हम हर दिन इस खौफनाक हकीकत को देख रहे हैं कि लोगों को अस्पतालों में ऑक्सीजन या आईसीयू बेड नहीं मिल रहे, कम गैस आपूर्ति के कारण बेड की संख्या घटा दी गई है।’ कोर्ट ने केंद्र से कारण बताओ नोटिस देते हुए कहा कि कोरोना मरीजों के उपचार के लिए दिल्ली को ऑक्सीजन की आपूर्ति के संदर्भ में दिए गए आदेश की अनुपालन नहीं कर पाने के लिए उसके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने केंद्र की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि मौजूदा चिकित्सकीय ढांचे के मद्देनजर दिल्ली 700 मीट्रिक टन चिकित्सकीय ऑक्सीजन की हकदार नहीं है। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का 30 अप्रैल का विस्तृत आदेश दिखाता है कि उसने केंद्र को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मुहैया कराने का निर्देश दिया था, न कि महज 490 मीट्रिक टन। पीठ ने कहा, ‘आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर छिपा सकते हैं, हम ऐसा नहीं करेंगे। क्या आपको इन चीजों के बारे में पता नहीं है।’
अदालत ने केंद्र सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस पर जवाब देने के लिए बुधवार, 5 मई को कोर्ट के समक्ष हाजिर होने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही आदेश दे चुका है, अब हाई कोर्ट भी कह रहा है कि जैसे भी हो केंद्र को हर दिन दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करनी होगी।
गौरतलब है कि दिल्ली में लगातार कई दिनों से ऑक्सीजन की कमी बनी हुई है। आए दिन मौतें हो रही हैं और अस्पताल ऑक्सीजन की कमी का #SOS जारी कर रहे हैं। कोर्ट भी पिछले कई दिनों से इस मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है। वहां भी आरोप-प्रत्यारोप होते हैं, परन्तु समस्या का समाधान नहीं निकल रहा।